Book Title: Shrutsagar 2017 08 Volume 04 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org समाचार सार Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महेसाणातीर्थ में राष्ट्रसन्त के शिष्यमुनिप्रवर श्री पद्मरत्नसागरजी महाराज साहब की प्रथम वार्षिक पुण्यतिथि का भव्य आयोजन सीमंधरतीर्थ, महेसाणा के प्रांगण में चातुर्मासार्थ विराजमान राष्ट्रसन्त परम पूज्य आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज की निश्रा में उनके शिष्य सौम्य स्वभावी मुनि प्रवर श्री पद्मरत्नसागरजी महाराज साहब की प्रथम वार्षिक पुण्यतिथि के निमित्त त्रिदिवसीय उपकारस्मरण उत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें १४ जुलाई के दिन प्रातः ८.०० बजे सीमन्धरतीर्थ परिसर में श्री पार्श्वपंचकल्याणक पूजन का आयोजन किया गया। महेसाणा शहर के समस्त जैन महिला मंडल ने इस पूजन में भाग लिया । १५ जुलाई के दिन प्रातः ८.३० बजे सीमंधरतीर्थ-कैलाससागरसूरि आराधना भवन में संगीत के साथ नवकार महामन्त्र के सामूहिक जाप का आयोजन किया गया, १५०० से अधिक आराधकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया था, शंखेश्वरतीर्थ के ट्रस्टी श्री श्रेयकभाई तथा समाजसेवी श्री कल्पेशभाई शाह के द्वारा इस कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया । महामन्त्र के आराधक श्री जयंतभाई राही ने मुम्बई से पधारकर इस आयोजन की शोभा बढ़ाई थी । महेसाणा शहर में विराजमान साधुसाध्वीजी भगवन्त तथा बहुत बड़ी संख्या में नगरजनों ने इस अनुष्ठान में भाग लिया । रविवार १६ जुलाई को प्रातः ९.०० बजे गुणानुवाद सभा का भव्य आयोजन किया गया। तीर्थ के ट्रस्टी श्री ने बताया कि मुनि श्री पद्मरत्नसागरजी महाराज का महेसाणा जिले के कडी गाँव में १८ सितम्बर १९६७ के दिन जन्म हुआ था । उनके छोटे भाई गणिवर्य श्री प्रशान्तसागरजी महाराज साहब की बड़ी दीक्षा के प्रसंग पर उनके मन में भी दीक्षा का भाव उत्पन्न हुआ । ११ फरवरी १९८७ को उन्होंने कोबा (गांधीनगर) में आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज की निश्रा में दीक्षा ग्रहण की थी। उन्होंने श्रमणवर्ग हेतु अत्यन्त उपयोगी स्वाध्याय, स्तोत्र तथा भक्तियोग की साधना से सम्बन्धित पुस्तिकाओं का सम्पादन कार्य भी किया था । उन्होंने गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, बंगाल, बिहार, मध्यप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश तथा नेपाल में भी गुरुसान्निध्य में रहकर पदयात्रापूर्वक विहार किया था। गुणानुवाद के इस प्रसंग पर पूज्य मुनिश्री के सांसारिक परिजन, बाहर से आए हुए अतिथि तथा जैनश्रेष्ठी भी बहुत बड़ी संख्या में उपस्थित थे। For Private and Personal Use Only

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