Book Title: Shrutsagar 2017 08 Volume 04 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
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॥ अथ पंचमी पूजा ॥
॥ दुहा
मुग धरो प्रभु मस्तके, करि परि मस्तक जास; इंद्राग्रहे इक चोटली, राखी सिरे रहे वा गजमस्तकि गजपति हुवे, मोटे माथे राज; प्रभुजीने माथे पूजता, देव देवी सिरताज
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1. वच्चे, 2. कोईक.
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मौली-न -नमत-पति नाकी, नमत-पति-नाकी, इक शिखा प्रभुने सीस; पूजौ ० ऊंची बार अंगुल परिमाणे, अंगुल परिमाणे, दीपे माथे रे जगदीश दसमो द्वार ए तालु'विचाले, [तालु विचाले] द्वारे जीव जगपत्ति; पूजौ ० होवे जे जगना स्वामि, जगना स्वामि, ते ए लक्षणे उतपत्ति
August-2017
॥ ढाल - छठ्ठी ॥
लींबुऐकि नींचि नींचि डालिया हो नींचि नींचि डालिया कैरबौ - ए देशी ॥ पांचमी हवे मस्तक पूजा, मस्तक पूजा, कीजीये गुणना जिहांज; पूजो रे जिणंदा प्यारा, पूजो रे जिणंदा भवपाज, पूजो रे मुणींदा प्यारा (टेक) लोकांते भगवंत बिराजे, भगवंत बिराजे, तालु पूजा तिणे काल
॥१॥ पूजौ ०
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अखंड ए ब्रह्मांड कहावे, ब्रह्मांड कहावे, आखिजे एह अलोक; पूजौ ० रह्यो तिहां जीव ते खेल रचावे, खेल रचावे, के वलि न लहे ते कोक जगठाकुर ए सघलुं जाणे, सघलुं जाणे, सचराचर विनिवेस; पूजौ० कीडीने पगे झांझर वागे, झांझर वागे, लहे ते सांई लेस लेस तिणे ठांमे तुमे तिलक बनावो, तिलक बनावो, गावो प्रभुना गुण गान; पूजौ ० ताल मृदंग` सरोद सकज्जे, सरोद सकज्जे, त्रिण्य करीने एक तान धी ध्रीकट ध्रु कट, धुंनि धिधि कर ध्रु, ततथेइ तान नचाय; पूजौ० उतम उदयसूरे प्रभु पूज्या, सूरे प्रभु पूज्या, दिन दिन सुजस सवाय जिणस्स णाणीजगणायगस्स, जगप्पईवस्स य बोहगस्स ।
बुद्धस्स मुत्तस्स य वच्छलस्स, , भिसिंचयामो उसहप्पहूस्स सुरपतैर्नपितं प्रभुपत्कजं, यदि युगेश युगादीश जन्मितः । यदि च राज्यपदे प्रभु संस्थितः, नतसुरेन्द्रनरेन्द्रपदाम्बुजम्
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॥२॥ पूजौ ०
॥३॥ पूजौ ०
॥४॥ पूजौ ०
॥५॥ पूजौ ०
॥६॥ पूजौ ०
॥७॥ पूजौ ०
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॥२॥
(इम कही कलश ढालवो)

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