Book Title: Shrutsagar 2017 08 Volume 04 Issue 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR 19 ॥ अथ पंचमी पूजा ॥ ॥ दुहा मुग धरो प्रभु मस्तके, करि परि मस्तक जास; इंद्राग्रहे इक चोटली, राखी सिरे रहे वा गजमस्तकि गजपति हुवे, मोटे माथे राज; प्रभुजीने माथे पूजता, देव देवी सिरताज www.kobatirth.org 11 1. वच्चे, 2. कोईक. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मौली-न -नमत-पति नाकी, नमत-पति-नाकी, इक शिखा प्रभुने सीस; पूजौ ० ऊंची बार अंगुल परिमाणे, अंगुल परिमाणे, दीपे माथे रे जगदीश दसमो द्वार ए तालु'विचाले, [तालु विचाले] द्वारे जीव जगपत्ति; पूजौ ० होवे जे जगना स्वामि, जगना स्वामि, ते ए लक्षणे उतपत्ति August-2017 ॥ ढाल - छठ्ठी ॥ लींबुऐकि नींचि नींचि डालिया हो नींचि नींचि डालिया कैरबौ - ए देशी ॥ पांचमी हवे मस्तक पूजा, मस्तक पूजा, कीजीये गुणना जिहांज; पूजो रे जिणंदा प्यारा, पूजो रे जिणंदा भवपाज, पूजो रे मुणींदा प्यारा (टेक) लोकांते भगवंत बिराजे, भगवंत बिराजे, तालु पूजा तिणे काल ॥१॥ पूजौ ० For Private and Personal Use Only 11311 अखंड ए ब्रह्मांड कहावे, ब्रह्मांड कहावे, आखिजे एह अलोक; पूजौ ० रह्यो तिहां जीव ते खेल रचावे, खेल रचावे, के वलि न लहे ते कोक जगठाकुर ए सघलुं जाणे, सघलुं जाणे, सचराचर विनिवेस; पूजौ० कीडीने पगे झांझर वागे, झांझर वागे, लहे ते सांई लेस लेस तिणे ठांमे तुमे तिलक बनावो, तिलक बनावो, गावो प्रभुना गुण गान; पूजौ ० ताल मृदंग` सरोद सकज्जे, सरोद सकज्जे, त्रिण्य करीने एक तान धी ध्रीकट ध्रु कट, धुंनि धिधि कर ध्रु, ततथेइ तान नचाय; पूजौ० उतम उदयसूरे प्रभु पूज्या, सूरे प्रभु पूज्या, दिन दिन सुजस सवाय जिणस्स णाणीजगणायगस्स, जगप्पईवस्स य बोहगस्स । बुद्धस्स मुत्तस्स य वच्छलस्स, , भिसिंचयामो उसहप्पहूस्स सुरपतैर्नपितं प्रभुपत्कजं, यदि युगेश युगादीश जन्मितः । यदि च राज्यपदे प्रभु संस्थितः, नतसुरेन्द्रनरेन्द्रपदाम्बुजम् 11211 ॥२॥ पूजौ ० ॥३॥ पूजौ ० ॥४॥ पूजौ ० ॥५॥ पूजौ ० ॥६॥ पूजौ ० ॥७॥ पूजौ ० 11211 ॥२॥ (इम कही कलश ढालवो)

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36