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श्रीपाल चरित्र ।
समंगलसूचक चिह्न प्रकट करते हैं ? क्यों नहीं शीघ्र हो मेरी विदा कर देते ? क्योंकि ज्यों-ज्यों ये लोग देरो कर रहे हैं त्यों२ मुझं स्त्रामाको सेवामें अन्तर पड़ रहा है और साथ हो मेरे भाग्यको दोष देते हुये मेरे पति के लिए काठी
आदि निध वचन कह रहे हैं । जब उससे नहीं रहा गया तल शीर्षस्थरसे बोली
"हे माता, पिता, बन्धु आदि गुरुजनों ! यद्यपि आर सज 'लोग मेरे शुभचिन्तक हैं, और अबतक आप लोगोंने जो कुछ भी मेरे लिए किया, वह सब मेरे सुखके हेतु था, परन्तु अब बाप लोगोंके ये वचन मुझे शूलसे भी तीक्ष्ण मालूम होते हैं। मैं अपने पति के लिए ये वचन सुनना नहीं चाहतो | क्या आप लोग नहीं जानते कि स्त्रोका सर्वस्त्र पति हो है ? जो सतो, शीलवती, कुलवती स्त्रियां हैं, वे अपने पति के लिए ऐसे
चन कदापि काल सुन नहीं सकती हैं। स्त्रियोंको उनके कर्मानुसार जैसा वर प्राप्त हो जाय वही उनको पूज्य और प्रिय हैं । उसके सिवाय संसारमें उनके लिए अन्य सब पुरुष -मात्र कुरूप अथवा पिता भ्राता व पुष तुल्य हैं ।
यद्यपि आप लोग मेरे पतिको कुरूप और रोग सहित देख · रहें हैं, परन्तु मेरो दृष्टि में वे कामदेवसे किसी प्रकार भी कम सुन्दर नहीं हैं । व्यथं आप लोग पश्चात्ताप कर रहे हैं मुझे सतोष है, और मैं अपने भाग्यको सराहना करतो हूँ कि जो ऐसे शूरवीर पराक्रमी सर्वगुण सम्पन्न रूपवान वरको प्राप्ति
यदि शुभोदय होगा, तो थोडे ही समय बाद आप लोग इन्हें देव गुरु धर्मके प्रसादसे रोगमुक्त देखेंगे । इसलिए आप लोग शांति रखें, किसी प्रकार चिन्ता न करें, संसारमें सब