Book Title: Shravanbelogl aur Dakshin ke anya Jain Tirth
Author(s): Rajkrishna Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 55
________________ मंदिर और स्मारक श्रवणबेलगोल के प्राचीन मन्दिरो और स्मारको का वर्णन निम्न शीर्षको मे दिया जाता है : १. विन्व्यगिरि २. चन्द्रगिरि ३. नगर ४ आसपास के ग्राम. विन्ध्यगिरि ____यह पर्वत बड़ी पहाडी के नाम से प्रसिद्ध है। इसे दोड्डवेट और इन्द्रगिरि भी कहते है। यह समुद्र तट से ३३४७ फुटे और नीचे के मैदान से ४७० फुट ऊचा है। ऊपर चढने के लिए कोई ६०० सीढी है। इसी पहाड पर विश्वविख्यात ५७ फुट ऊची खड्गासन गोम्मटेश्वर की सौम्य मूर्ति है। यह मूर्ति १४-१५ मील से यात्रियो को प्रथम तो एक ध्वजा के स्तम्भ के आकार मे दिखाई देती है, किंतु पास आने पर उसे एक विस्मय मे डालनेवाली, अपूर्व और अलौकिक प्रतिमा के दर्शन होते है। यात्री अगाध शान्ति का अनुभव करता है और अपने जीवन को सफल मानता है। गोम्मटेश्वर की भत्ति ___यह दिगंवर, उत्तराभिमुखी, खड़गासन, ध्यानस्थ प्रतिमा समस्त ससार की आश्चर्यकारी वस्तुओ मे से एक है । सिर पर केगो के छोटे-छोटे कुतल, कान वडे और लम्वे, वक्षःस्थल चौड़ा, नीचे लटकती हुई विशाल भुजाए और कटि किञ्चित् क्षीण

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