Book Title: Shravanbelogl aur Dakshin ke anya Jain Tirth
Author(s): Rajkrishna Jain
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 112
________________ श्रवणबेलगोल और दक्षिण के अन्य जैन तीर्थ ( ४ ) सात-आठ सौ शिलालेख का है तुममें दुर्लभ घन श्रावक - राजा सेनानी श्राविका आर्यिका मुनिजन वीर-वीर-गम्भीर कथाए धर्म-कार्य संचालन उक्त शिलालेखों में है इनका सुन्दरतम वर्णन दर्शन कर इस पुण्य क्षेत्रका जीवन सफल बनाओ वन्दनीय हे जैनतीर्थं तुम युग-युगमें जय पाओ ॥ ( ५ ) पशु-रक्षा पर प्राण दिये जिन लोगोने हँस-हँस कर वीर-वधू साथिर्व + लड़ी पति संग समर के स्थल पर चन्द्रगुप्त सम्राट् मौर्यका जीवन अति उज्ज्वलतर चित्रित है इसमें इन सबका स्मृति-पट महामनोहर आ आ एक वार तुम भी इसके दर्शन कर जाओ वन्दनीय है जैनतीर्थ तुम युग-युगमें जय पाओ ॥ ( ६ ) ७६ मन्दिर अति प्राचीन कलामय यहां अनेक सुहाते दुर्लभ मानस्तम्भ मनोहर अनुपम छवि दिखलाते यहा अनेकानेक विदेशी दर्शनार्य है आते यह विचित्र निर्माण देख आश्चर्यचकित रह जाते अपनी निरुपम कला देखने देशवासियों ! आओ वन्दनीय हे जैनतीर्थ तुम युग-युगमें जय पाओ ॥ ( ७ > प्रतिमा गोम्मटदेव बाहुबलि की अति गौरवशाली देखो कितनी आकर्षक है चित्त-लुभानेवाली बढ़ा रही शोभा शरीर पर चढ लतिका शुभशाली मानो दिव्य कलाओने अपने हाथों हो ढाली * इनका प्राकृत नाम शावियब्बे है ।

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