Book Title: Shasana Chatustrinshika Author(s): Anantkirti, Darbarilal Kothiya Publisher: Veer Seva Mandir Trust View full book textPage 6
________________ प्रस्तावना शासनचतुस्त्रिशिका श्रौर मदनकीर्ति १. शासनचतुस्त्रिंशिका 3)स्तुत कृतिका नाम 'शासनचतुस्त्रिशिका' है। यह एक छोटी-सी किन्तु सुन्दर एवं मौलिक रचना है। विक्रमकी १३वीं शताब्दी के सुविख्यात विद्वान मुनि श्रीमदनकीर्तिजी द्वारा यह रची गयी है। इसमें कोई २६ तीर्थस्थानों---८ सिद्ध तीर्थक्षेत्रों और १८ अतिशय तीर्थक्षेत्रों का परम्परा अथवा अनुश्रुतिसे यथाज्ञास इतिहास एक-एक पद्यमें अति संक्षेप एवं संकेतरूपमें निबद्ध है। साथ ही उनके प्रभावांल्लेख पूर्वक दिगम्बरशासनका महत्व ख्यापित करते हुए उसका जयघोष किया गया है। वस्तुतः जैन तीर्थों के ऐतिहासिक परिचयमें जिन रचनाओं दिसे विशेष मदद मिल सकती है उनमें यह रचना भी प्राचीनता आदिकी दृष्टिसे अपना विशिष्ट स्थान रखती है। विक्रम संवत् १३३४में बनकर समाप्त हुए चन्द्रप्रभसूरिके प्रभावकचरित्र, विक्रम संवत् १३६१ में रचे गये मेरुतुङ्गाचार्य के प्रबन्धचिन्तामणि, विक्रम संवत् १३८६ में पूर्ण हुए जिनप्रभसूरिके विविधतोर्थकल्प और विक्रम संवत् १४०४ में निर्मित हुए राजशेखरसूरि के प्रबन्ध कोश (चतुर्विंशतिप्रबन्ध) में भी जैनतीर्थों के इतिहासकी उल्लेखनीय सामग्री पायी जाती है । परन्तु सुनि मदनकीर्तिकी, जिन्हें 'महाप्रामा एक चूडामणि का विरुद प्राप्त था और जिसका उल्लेखPage Navigation
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