Book Title: Shantilal Vanmali Sheth Amrut Mahotsav Smarika
Author(s): Dalsukh Malvania
Publisher: Sohanlal Jain Vidya Prasarak Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ मेरे जीवनादर्श SRO THESEp SHARMA अहिंसा-त्रिमूर्ति को कोटिशःवंदन ! श्रद्धा-सुमन समर्पण A A 'धम्मो मंगलमक्किट्ठे, अहिंसा संजमो तवो। देवा वि तं नमस्सन्ति, जस्स धम्मे सयामणो।' ____ अहिंसा, संयम और तप, यही उत्कृष्ट धर्ममंगल है। ऐसे मंगल-धर्म में जो अनुरक्त हैं, उन्हें देव भी नमस्कार करते हैं। –मंगलमय भगवान महावीर सव्वपावस्सअकरणं, कुसलस्सव उवसंपदा । चित्तस्स परियोदपनं, एतं बुद्धानं सासनं ।। किसी भी पाप-प्रवृत्ति नहीं करना, कुशलता की उपसंपदा प्राप्त करना और चित्त का परिशोधन : यही बुद्धों का अनुशासन है। -महात्मा गौतम बुद्ध 'कामये दुःख-तप्तानाम् प्राणिनाम् आति-नाशनम् ।' दुःख से तपे हुए प्राणियों की पीड़ा का नाश करूं-यही एकमात्र मेरी कामना है। -राष्ट्रपिता महात्मा गांधी समर्पक-शान्तिलाल वनमाली शेठ Month PPE मान handi R By Courtsey :PRINTPACK ENGINEERS 40, LAKSHMI COMPLEX. K. R. ROAD, FORT OPP. VANI VILAS HOSPITAL BANGALORE-2 PHONE No:258072 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 148