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मेरे जीवनादर्श
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अहिंसा-त्रिमूर्ति को कोटिशःवंदन !
श्रद्धा-सुमन समर्पण
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'धम्मो मंगलमक्किट्ठे, अहिंसा संजमो तवो। देवा वि तं नमस्सन्ति, जस्स धम्मे सयामणो।' ____ अहिंसा, संयम और तप, यही उत्कृष्ट धर्ममंगल है। ऐसे मंगल-धर्म में जो अनुरक्त हैं, उन्हें देव भी नमस्कार करते हैं।
–मंगलमय भगवान महावीर सव्वपावस्सअकरणं, कुसलस्सव उवसंपदा । चित्तस्स परियोदपनं, एतं बुद्धानं सासनं ।।
किसी भी पाप-प्रवृत्ति नहीं करना, कुशलता की उपसंपदा प्राप्त करना और चित्त का परिशोधन : यही बुद्धों का अनुशासन है।
-महात्मा गौतम बुद्ध 'कामये दुःख-तप्तानाम्
प्राणिनाम् आति-नाशनम् ।' दुःख से तपे हुए प्राणियों की पीड़ा का नाश करूं-यही एकमात्र मेरी कामना है।
-राष्ट्रपिता महात्मा गांधी समर्पक-शान्तिलाल वनमाली शेठ
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