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श्री आगम सद्दहणा छत्रीमी,
सीजें सवि काज ॥ त्रीजो मंगल ए मुक सही । सुप्रजाते कीधो से ही ॥ ११ ॥ चोथो मंग श्रीजिनधर्म । जसु पसाय लहिये शिव सर्म | आप दया सूधी के जिहां । वेव पदारथ लाने इहां ॥ १२ ॥ चारे मंगल एड्जसार । सुप्रजात दिन दिन आधार ॥ करिये तरिये जवनो पार । द्धि वृद्धि शिव सुखदातार ॥ १३ ॥ श्री प्रागम सदहणा बनोसी. ( राग - भरथरीनो . ) तीरथपति श्रोवीरना । अहनिसि बंडुं पाय ॥ जवसायर तरवा जणी । जिसे कयो धर्म ऊपाय ॥१॥ यागम वचन समाचरो । सुद्ध सदहा जाए ॥ वरस सहस एकवीसजां । जयवंते प्रजु वा ॥ २ ॥ ० ॥ वीर निर्वाण या पछी । वरस सहस दोय ए६ ॥
स्मक ग्रह जिणे लोपियो । मुनिवर पूजा संदेह ॥ ३ ॥ आगम० ॥ तब निज बंदे मंगिया । जूजू या गडाचार || तेणें प्रवाहें वाहिया । न लहे सूत्राचार ॥ ४ ॥
० ॥ यावश्यक पोसह क्रिया । चिहुं पर्व विणु न कहंत ॥ तेय अजाण खरा सही । काच ब्ये रतनद