Book Title: Sazzay Sangraha Part 01
Author(s): Sagarchandrasuri
Publisher: Gokaldas Mangadas Shah

View full book text
Previous | Next

Page 239
________________ २२६ श्री आगम सद्दहणा छत्रीमी, सीजें सवि काज ॥ त्रीजो मंगल ए मुक सही । सुप्रजाते कीधो से ही ॥ ११ ॥ चोथो मंग श्रीजिनधर्म । जसु पसाय लहिये शिव सर्म | आप दया सूधी के जिहां । वेव पदारथ लाने इहां ॥ १२ ॥ चारे मंगल एड्जसार । सुप्रजात दिन दिन आधार ॥ करिये तरिये जवनो पार । द्धि वृद्धि शिव सुखदातार ॥ १३ ॥ श्री प्रागम सदहणा बनोसी. ( राग - भरथरीनो . ) तीरथपति श्रोवीरना । अहनिसि बंडुं पाय ॥ जवसायर तरवा जणी । जिसे कयो धर्म ऊपाय ॥१॥ यागम वचन समाचरो । सुद्ध सदहा जाए ॥ वरस सहस एकवीसजां । जयवंते प्रजु वा ॥ २ ॥ ० ॥ वीर निर्वाण या पछी । वरस सहस दोय ए६ ॥ स्मक ग्रह जिणे लोपियो । मुनिवर पूजा संदेह ॥ ३ ॥ आगम० ॥ तब निज बंदे मंगिया । जूजू या गडाचार || तेणें प्रवाहें वाहिया । न लहे सूत्राचार ॥ ४ ॥ ० ॥ यावश्यक पोसह क्रिया । चिहुं पर्व विणु न कहंत ॥ तेय अजाण खरा सही । काच ब्ये रतनद

Loading...

Page Navigation
1 ... 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264