Book Title: Sazzay Sangraha Part 01
Author(s): Sagarchandrasuri
Publisher: Gokaldas Mangadas Shah

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Page 252
________________ श्री थावच्चा रुषिराज सज्झाय. अनुमति मागे । करि पहुचा रे माश् ॥११॥ पू०॥ उठी माश् कृष्ण घर पहुती । सुणि हो तु नरराय ! ॥ पूत्र एक अम्ह कुमर थावच्चो । दीदा लेवा जाय ॥१॥ पू० ॥ चतुरंग सेना कृष्णे संजोश् । करे महोलव जा ॥ थावच्चा सरसी लिये जे दीक्षा । तांह करूं निरवाह ॥ १३ ॥ पू० ॥ बत्रीसे अंते उरी विलवे । का मुंके निरधार ॥ जर तुम्हे संयम लेहो कुमरजी तो अम्ह कवण आधार ॥१४॥ पू० ॥ कुमर नणे संजल सुकुलोणी !। बहू मुख ए संसार ॥ जनम मरणने चिहु गति माहे । नरनव मुलहो अपार ॥ १५ ॥ पू० सहस पुरुषसुं संयम लीधो। नेमि जिणेसर पास ॥ कुमर थावच्चे कुल अजुवादयुं । सहुए कहे साबास ॥१६॥ ॥ पू० ॥ एम जाण। संसार का रिमो। विच रसे जे नरनार ॥ करजोमी पूनपाल विनवे। ते पहुचे जवपार ॥१७॥पू॥ श्री किरिया स्थानक सज्जाय. (वस्तु बंद ) वीर जिणवर २ पाय पणमेवि ।

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