Book Title: Sazzay Sangraha Part 01
Author(s): Sagarchandrasuri
Publisher: Gokaldas Mangadas Shah

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Page 251
________________ २३८ श्री थावचा रुषिराज सज्झाय, नूख दिनि नाठी | घर अंगण न सुहाइ ॥ ४ ॥ पुत्र मेरा ॥ माइ संसार सुख ने थोमा । जरा मरण जय रोग ॥ कलत्र पुत्र सजनादि कारिम | बंधण द हा वियोग ॥ ५ ॥ माइ० ॥ नयणे नीर पावस जिम वरसे । हृदय कमल तन जीजे ॥ बहु दुख करि में पाल्यो रे जाया । दिवे विछोह न कीजे ॥ ६ ॥ ५० ॥ राजऋद्धि सजनादिक सुख ए । अंतेवर परिवार || मरण काल जीव अनाथी होवे । कवण मावण हार ॥७॥ भा० ॥ तुं सुकुमाल कमल जिम जाया ! | चारित विषम पार || दंत मयणका लोह चणा जिम । चाविस केम कुमार ! ॥ ८ ॥ ० ॥ ऊंचे मुख दस मास गरज माहि । ते दुख ज्ञानि जाणे ॥ हु को सुइ गुण वेदन | हुं किम करुं बखाए || मि ॥ ए ॥ माइ० ॥ में दसमास गरज उर धरियो । थान पिवायो आस || यौवन काल रमणी परणायो । मं किस पूत्र ! निरास ॥ १० ॥ पू० ॥ नरहे कुमर किसहीको वार्यो । हुई वैराग सजाए ॥ विनय करीने

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