Book Title: Satyamrut Achar Kand
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 5
________________ 400ameternetreeeeeeeeg PLN समर्पण ANABAD भगवती अहिंसा के चरणोंमें अनुज्ञायाचन भगवनि ! जगको तेरी कथा सुनाऊं। जलता है संसार आग में उस पर दो आँसू टपक्राऊं ॥ जगको तेरी कथा सुनाऊं ॥१॥ अगणित रूप अनंत चाति है । पारम्परिक विरोध नरित हैं । सकल-विरोध-समन्वय-कारिणि, तेरा व्यापक रूप बताऊं । जगको तेरी कथा सुनाऊं ॥२॥ छोटासा यह चित्र बनाया। है तेरी धुंधलीसी छाया । पार कहां पाऊँ तेरा में सागर-जल गागर में लाऊं । जगको तेरी। कथा सुनाऊं ॥३॥ viewIVARAB तर दास दरबारीलाल सत्यमन

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