Book Title: Sanmati Tark Prakaran Part 03
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 408
________________ परिशिष्ट ३८९ ४ - सम्मतिमूलगायागलाशमाः। काण्ड पाया ग्या.. ५८ اس سم १७३ م م ४२९,४४, ४. आएस माएसबिसे सिय भागम आगममेत्तत्व आगममेत्तत्थसाहओ भागमिमो भागमे भागासाईआणं भाण आयरिय आयरियधीरहत्या भाया م ६५५ ६५१ १५3 سم سم سم سم م س ६३६ س ६१८ م س س م ४६ ४ ४५१,४५५ س ६४ ४९,५१ م س बान्द काण्ड गाथा भरिणापमम्मी ३ ५५ अविनिच्छनो भविभत्ता भवियत भरियप्पं भनियप्पो अविरुदा भबिरोहण अविसए अविसिट्ठा २ १८ भबिसेसओ मबिसे लियं भसंखेचं २ ४३ भप्रभार भसम्भावपनवे भसन्माने असम्भूयं भसमस्या भसमाण ३ ८ असमाणग्गहणलक्षणा ३ भसारिस असरिसममेहि भसमाए भसखाया भह २६,३० २४९ س ६२५ م ४२९ م س आरतो आवरण भातायणा २ ५९ س १ ३१ YY م ४५५ س ७२० २ ४ س मासि م سع ६३३ ६३३ م इभ इच्छंति سم २ ६२३ ६२,६२३ ८,२५1८३,६४. س سم م س ७.५ ७२५ ४२२,४४ ر णमो س ७१२ م इन्ति م २ २८ م س इंदिय م ६. इंदियगयं س م २ م س س م २ १३ १२२ م س अहवा भहिगम्मस्थ महिगय महियम्मि महिगयमुत्तेण अदिगयस्स महेउबाभो س VY م २ २६ हरा م २२ م ६५. ३ २५ م س م ५.९,१६, ३४९,३१ २३ .८,१६, भार आइटो भारणं भाईया ४६,४४० (३५ १ २० २ २, १ ५, १२, १८,३३१ ३ १,३२,१४, २८,६४१ ____४१,४,५१ ,५६ भारण भाउंरणकालो भाग्य س (२४ उजाहरणमित्त Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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