Book Title: Sanmati Tark Prakaran Part 03
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 494
________________ ३१५-१५. साबिन १७४५. त्रिंशाविति ५९७ २. दार्शनिक ४६९-६० दिमाग १७५-६,१९९-७,५३१-९. दिवाकर ६५६-४. २७१-५. देवनद ६५२१. देशनामा धर्मकीर्तिवर्तिक ५०३७. धर्म कीर्तिसूरि ३३३-११, परिशिष्ट १२ सम्म तिटिप्पणी निविंश प्रन्थकृतो प्रन्थाथ । १७३-१३१७-११२२-२३६३६-२. द्रव्यगुणयास (ति) ६३१-२. द्वादशारनयचक्र (लि) १९५ - १३;३७९ - १२. ध द धर्मकीर्ति (जुओ कीर्ति) १५ - १२,२११-६,२४१ - २१६४६५६,४६७-११,४८८-९,५०६-२, ३,५०८-१,५५४-४. धर्मकीर्तितन्यायमिन्दुरी ४६९-६. १६२७-१,७१२-१. · २७२-०. धर्मोत्तरीया ४६७-११. ध्यानशतक ७३४-१ ४९८६,५००-८५१०१५९७ थी ६०३ न नन्द लिखित) ५९७ थी ६०४ १. नन्दिनीका ४७८ २. नन्दिलघुवृत्ति ( लिखित ) ५९७ थी ६०३ - २. नयचक्र (हम लिखित ) ६३-७,२७१- ९,४४१-१०३ याकर्णिका ३६६-१. ७०६-५० Jain Educationa International ७४९-१०. नयनप्रसादिनी ५५८-१४. मयोपदेश २७३ १,३१७-१२,३१८-१०, ३१९ १३, १५: ४४२-३६४५-४. नयोपदेशति ३७९ - १२:३८०-१, १३:३८३-९, १०, ११. मागे ६५२-१. निय६४४-२. निर्यु तिहार (भद्रबाहु ) ४२२ - १. नैयायिक ९८- ३,५४०- ३६५४३ - १३,५७७-५; ५९७ - २, नैषधीय महाकाव्य ६९७- १. न्याय १८३ - २१. न्याय कुमुदचन्द्रोदय (लिखित ) १७५ - ११:२६०-१, १०; ४७१-०५३७-९,५४०- ३,६५७-२, ५,६६९-११. न्यायदर्शन ९९५: ११५- ६:१५० ४ १७८-७९३४६-२०१ ४५२-१५८७-५,५१८-१६,५२७-५,५३०-१; ५४०-३,५५१-६:५९७ - १,६५९-८, ६७१-६, ७३३-२. न्यायदर्शनात्स्यायन माध्य ४२२१. न्यायप्रवेश ३९८-४१३५१६:४९८-१ न्यायप्रवेशकार ४८८ - ९. न्यायविन्दु ३२८-४,६,१३,१४,३५१-६,३५२- १; ४८८-१९,५०१- ३,५०६-२,५७२-६,५९२-१ न्यायविडीका ४६५-६. न्यायविति ५६७-११. न्यायबिन्दुटीकाटिप्पणी ( लिखित) ४६९-६६४८२९-३ ४९८- ६, ५०६-२. न्यायमकरन्द ३६६-२. न्यायमञ्जरी ४६५-६६४६६ - ५, ७,४६९-६, ४७१-५, ४८०-३,४८३-९,२८७-५४८९-३,५०५-६, ५०७६:५०८- १५१९-१, ५२०-६:५२१-०, ५२२-०१ ५२१- ११:५२४-४, ५२५-१, २, ४, ५, ८, ५२९-११, ५३०-१,२,४,०५११-२०५३३-१५३४-९,५३५१, ४,५३६-४, ९;५३७- १, २, ४,५३८- २,८,५३२-२; ५४० - ३,५५४-२, ३, ५६०-१, ३,५६१-१२,५६२२, ५,५६३ - ५, ९,५६५-५: ५७४- १६५७५-५, १७७७,८,५७८ - १४:५७१-५:५८७- १,५९७- २,६५९८,६६८-३, ७०६-५. ४७५ न्यायवार्तिक १२७ १,१४३-२, १५३-४:१७५-६:१७८२७,२००७, २०४-११,३३२-१२,३७६-२०१ ३७६-९, ४२२१४७१-११,५१९-४, १,५२०-६: ५२१-१, ४,५२२-३, ८, १२४ - ४,५२८-५९१३०-६ ५३६ - ७, ९,५३३-१,१३४-१५४०-३, ५५२ - १०९ ५६०-३, ५,५६१-१२, ५६२ - २, ५,५६३-६,५६६१०,५७७-७, ५९७-२,६५९-८, ६६४-१, ६६६-३, ५,६६८- ३,६६२-६,६७७-५,६८९-६,६९२-११ ७१६-८७९७ २. न्यायवार्तिका ३४६-१०२१६-२६३७६-९ ४२२१:४६९-६:४७१- ११:४९९-१५०३-७ ५१९-२,४,५, १,५२०-२५२१-१, ४५२२-२५००० ५२४ - ४,५२५- १, २, ४,५२८-५,२३०-६५३१-७, ९; ३३-१,५३५-१,५४०-३५४३-१३,५५४-८९ ५५८-१४,५५९-५, १०,५६०-५,५६१२-१२, ५६२२,५,५६६-३, १०, ५७७ ७, ५९७२, ६५९.८, ६६९.६. न्यायवादिन् २४२-२१,५०३-७, न्यायसिद्धान्तमुक्तावली ५०२-१२,६७६-४, न्यायसून १७८७,५६० २. For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org.

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