Book Title: Sanmati Tark Prakaran Part 03
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: Divya Darshan Trust
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४४२
सन्मतितर्कप्रकरण
६ - सन्मतिटीकानिर्विष्टा प्रन्था प्रन्यकृतश्च । कुमारिल १८७-१२,१९०-९,२०४-१९,२२३-१,२२९- जनपक्ष ६४८-१२
",२४०-२५,५६४-१४,५७०-१४,५७८-३३,६९५- | जैनमत ४७८-१३,५२५-११,५५१-८ २२ (२)
| जैमिनि ४८-१५,५६-२,६५-१३,५३४-१५,७९८ कुमारिलवन २०४-१९ (१७)
जैमिनीय ८०-२३,९४-१६,१३२-11,४६६-५,५६७केचित् ७५-४०,९१-६,९७-२१,१०९-२४,१४६- |10 (1.),५५२-२३ ४१,१६८-२०,२७८-३१,३२४-१८,०५-1.४४०-२९, | जैमिनीयम् ५३९-२८ ४४५-३१,५२२-१८,५३१,५३८-४,५५३-१४ (१), ६११-२,६४०-९,७१४-१(५)
| तत्वचिन्तक ५६८-२२ कैथित् ३६-१७७९-३५,१४२-१५,३१०-१९,३४१- | तत्त्वबोधविधायिनी ७६१-२९ ६५,४५६-५
तत्त्वविद् २७२-२६,२७९-१०,२८०-" केषाचित् ५९६-३१,५९७-२(१)
| तत्त्वार्थसूत्रकृत् (उमाखाति) २६१,७४९-१. ग
| तदादिन (अनेकन्यक्तिव्यापिसामान्यवादिन् ) ११२-२. गणधरादि ७५२-२४,७५४-१३
तान्त्रिकलक्षण ७३-१५,७५-२२,७६-४ गन्घहस्तिप्रमृति ५९५-२४,६५१-२१
तार्किक ७६-३,८९-३. गोगाचार्य ५६४-३४ (१७)
तीर्थकर २७१-१२,४५५-३१,६०५-२४ गोयम ६०५-३
तीर्थकृत् १-२३,६३५-१२,७४६-२५ गौतम (इन्द्रभूति) ६०५-१.
तीर्थकृद्रनन ५५६-१ गौतमादि (इन्द्रभूति भादि ) ६३५-२
तीर्थकृन्मत ४५६-५ तीर्थान्तरीय ७३६-३४
तृतीय सूत्र ( न्या. सू.) ५६७-14 पर्याध्याय (बा. भा.) ५२१-२
तृतीयाकस्थान ( स्थानासूत्र ) ४५३-१७ चतुर्दशपूर्व ७५२-१३
त्रयी ५४-८ चतुर्दशपूर्व विपटू १७३-६
त्रयीविद् ७४१-२९ चतुर्दशपूर्वसंविदागिनी ७५१-२५ चार्वाक १३-१६,६९-३९,७३-५,९३-३५,९४-२६, ९५-३२,११७-८,१९८-१६,१३२-४१,१४९-१३,५०५. | दिगम्बर ७४७-१९,७५४-३३ ६,५३२-२८,५०६-१,५५४-1
दिमाग (जुओ आचार्य) ९७५-१३,१९१-३०,२०१-१३, चार्गकमत ९४-३५,५५६-२,१६३-१६
२०४-२ चाकमीमांसकदृष्टि ९४-२६
दिश्वासस् ७४६-२४,७५५-५ चार्वाकादि ५०५-५
दृरिवाद ६५१-१७ चिकित्साशास्त्र ६१-३५,१७०-२३
दात्रिविका २९-३०
दादशाह १-१०,६८-३०,६९-७,२७१-१०,६१५-१९, जिन ८-२६,२९-२०,४३-१२,६८-३०,६२-८,१३३- ६३८-२६
द्वादशाजवाक्य ६१५-२९ जिनपुत्र (बोर) ७३१-३३
द्वादशाही ७५१-२०,७५२-१६ जिनप्रणीत ४३-२२
द्वादशाकश्रुतस्वन्ध ६१६-३३ जिनप्रणीतल १६९-५ जिनभद्रगणिक्षमाश्रमणपूज्य ६०८-२)
धर्मकीर्ति (जुओ कीर्ति )६७-३०,६९-२९,७६-३,१४९जिनमतानुसारिन् ८०-२५ जिनवचन ७५७-७,७६१-१५
१५,२४२-३१,२५५-१५,४६५-" जिनवचनमदोदयि १-१४
धर्मोत्तर ४७१-१५ जिनशासन ६९-८ जिनोपदेश ६३८-२६
नास्तिक-मीमांसक ७५३-४. नैन ५८-४३,६९-१३,९०.४.१०७-८,२६५-२०,५६५-| नास्तिक-यातिक ७१८-३३ २५,४७४-७,७७८-11,864-11
निर्ममी ७५१-२५,७५४-१.
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