Book Title: Sanmati Tark Prakaran Part 03
Author(s): Abhaydevsuri
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 471
________________ ४५२ सन्मतितर्कप्रकरण ८ - सन्मतिटीकागता दार्शनिकाः पारिभाषिकाय शन्दाः। भाष्यात्मिक-हर ३७७ भाज्यात्मिक शुरुध्यान ७३५ भानन्दरूपात्मवरूप ११. भाभिनिबोधिकज्ञान ६२१ आयुककर्मन् ६१२ मार्तध्यान ७३४ आर्तघ्यानोगत ७ve भार्यसत्य १३ मार्यसत्यचतुष्टय ४९९ आर्ष ७३ मालम्बन ५१२ (२) भाररण ३.. आवरणविनाश १३ भारणापगम ६७८ भावारक ३५,३८,५१ भावारकख ५०,.,१६" भावृति १५३ आस्रब ७३२(३),७३३,७३६,७३७ मानवादि-प्रतिपत्ति ७३७ आहारविरह ६१४ आहारव्यवस्थिति १२ ईश्वर-निमित्तकारण १९ ईश्वरपरिकल्पनायर्यप्रसक्ति ४०६ ईश्वरप्रेरित ४७६ ईश्वरबुद्धि १२७ इश्वरसाधक 10 ईवरसाधक-प्रमाणाभाव १३३ ईश्वरसिद्धि ९५,१.५,१२१ ईश्वराज्य-कारण १२७ ईश्वराज्य-सर्वज्ञ ईश्वरादि ५ ईश्वरादिप्रेरणा ७१६ ईश्वरादिविकल्प ५.. ईश्वरागनुमान ४८६ ईश्वरानेकत्वप्रसा.. ईश्वरावगम ९३ ईश्वरावगम-प्रमाणाभाव १२४ ईश्वरोपदेष्ट्रव ११२ ईहा ५५२,५५३ (४) ईहादिक ६२१ उत्पादत्ययधान्यारमकोपयोग 65 उत्पादव्ययस्थिति ६४५ उत्सार-स्थिति-भा .,v१५ उदयव्ययबती-अर्थमात्रा ३८" उदयरतीस्मृति ३४३ उपप्लव ५19(.) उपयोग ५७ उपयोग-भनाकारता-साकारता ४५८ उपमान ५.५ (१),५७६,५७८, ५८२ उपमानपूर्विका-अर्यापत्ति ५७९ उपमानलक्षण ५७७ उपलब्धि २११,२९२,३६२, उपलब्धिलक्षणप्राप्तखभाव ३२५ उपलरध्याख्य ३ उपलम्मे २८७ उपशमकक्षपकगुणस्थानभूमि ७३५ उपशमनचाम्छा." उपादानकारण ८८ उपादानप्रहण २८२ (१५) उपादानल८८,८५ उपादान-सहकारिखलक्षणशकि ४०१ उपादानादि .. उपादानाधिष्टान " उपाधि-तत् २०४ उपाधिविशिए-उराधिमत् २६५ उपायविरय ७३४ उभय १७९ उभयवाक्यप्ररूपक-नयाभार उभयात्मकवस्तु १0010 ऊ उर्चगतिपरिणामस्वाभाव्य ३६ ऊह ५९४ (५) उहाट्यप्रमाण ७७,३९७ उत्क्षेपण ५(.),६८९ (२) उत्तमसंहनन ४५३ उत्तरपर्यायोत्पादात्मक-पूर्वपर्यायविनाश इच्छात: 1 इतरेतराभाव ५८१ इतरेतराश्रय २,५,३१,३२,४४६, ५.,५२,५४,०,१०,१३, १२१,111,६४,५२३ इदानीन्तनयति ७५. इन्द्रियज्ञान ४९९ इन्द्रियवृत्ति १२२ इनियन्यापार ५३९ इन्द्रियार्यसत्रिकर्ष ५२१ इजन्ममरणचित्त ८९ बहबुद्धयारसेयसमवाय १५६ उत्पत्ति ४८, उत्पतिविनाशस्थितिलभाष ६४४ उत्पत्तिसत्तासम्बन्ध ४८ उत्पत्ति-स्थिति-निरोध४५१ उत्पत्तिस्थितिप्रलयात्मक-विचित्र-कीडो पाय १६ उत्पत्तो परतःप्रामाण्य" उत्पत्तो स्वतःप्रामाण्य उत्पत्यभिव्यक्तिपक्ष उत्यनप्रतीतिप्रामाण्य ७६ उत्पन्नादिकालत्रय ६४५ (३) उत्पाद ६.८,६४१,६४९ उत्पादविगमधोव्य ६२१ उत्पाद-विनाश (२३ उत्पादविनाश स्थित्यात्मकल ६४२ उत्पाद विनाशस्थित्यात्मकभाव १५. उत्पाद-विनाशखभावभाव ४०१ उत्पादव्ययध्रौव्य ३२३,३९५,४२, ४२८,४२९,४५१ उत्पादव्ययधोव्य-लक्षण ९२ ईया समित्यादि ७५५ विर ३१,९९,९५,९६,५९,१०३, १२५,२६,२७,२८,111, १३२,४७६,५०६,७१५,१६, ऋजुसूत्र.८५,३१.,101,२,३१४, ३६,३७८ ऋजुसूत्रनय ४.५,४१,४४,४८ ऋजात्रवनविच्छेद ३४९ ईश्वरकल्पनाचेयर्थ्य १२९ ईश्वरज्ञान १२५,४७९ ईश्वरज्ञानलासिद्धि ४७५ () ईश्वरज्ञानादिहेतुरु-जगत् ११६ एक आत्मन् १५३ एककार्यकारिख २५५ एक-किया ४५३ एकज्ञानिन् ६१. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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