Book Title: Sanmati Mahavira Author(s): Sureshmuni Shastri Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 9
________________ एक चिरन्तन सत्य इतिहास की कसौटी पर परखा हुआ यह एक चिरन्तन सत्य है कि ससार में जब पापाचार, दुराचार, अत्याचार, अनाचार, भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाता है, अधर्म धर्म का परिधान पहिनकर जन-गण-मन को भुलावे मे डाल देता है, धार्मिक मच पर भी असत्य, अन्याय, शोषण, उत्पीडन एव स्वार्थपरता का बोल बाला हो जाता है, जीवन के उच्चादर्शो को भूलकर मानव पार्थिव एषणाओ की भूल-भुलैया मे फंस जाता है, जन-जीवन में दैवी भावनाओ के स्थान पर आसुरी भावनाएँ अपना पजा जमा लेती है, मानवता के नाम पर दानवता का नग्न ताण्डव होने लगता है, तब कोई महान् आत्मा, सोई हुई मानवता के भाग्य जगाने के लिए, भूले-भटकेPage Navigation
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