Book Title: Samaysar Vaibhav
Author(s): Nathuram Dongariya Jain
Publisher: Jain Dharm Prakashan Karyalaya

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Page 5
________________ Raj Kumar Singh INDRA BHAWAN TUKOGANJ INDORE-1 (M.P.) M.A., LL B., F.R.E.S., F.R.G.S दि १२, सितम्बर, १९७० समयसार-वभव ग्रथ मे श्री पडित नाथूरामजी डोगरीय ने समयसार ग्रंथ के गूढ अर्थ को बहुत ही सुन्दर और सरल ढगसे निश्चय और व्यवहार का भली भॉति समन्वय करते हुए समझाया है। ऐसे महान् ग्रंथ के गूढार्थ को समझाते हुए सुन्दर पद्य रचना करना सचमुच ही प्रशसनीय है ! मुझे आशा है कि इस प्रथ को पढकर अनेक जिज्ञासु धर्म लाभ प्राप्त करेंगे। राजकुमारसिंह [श्नीमन्त सेठ, दानवीर, रायबहादुर, गज्यरत्न ]

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