Book Title: Samaysar Vaibhav
Author(s): Nathuram Dongariya Jain
Publisher: Jain Dharm Prakashan Karyalaya

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Page 4
________________ Hiralal kashliwal KALYAN BHAWAN TUKOGANJ INDORE दि ७ अक्टूबर ७० अपनी स्व पूज्य माँ सा० को श्रद्धाञ्जलि समर्पित करने हेतु इस अपूर्व ग्रथ का प्रथम संस्करण समाज की सेवा में प्रस्तुत करने की पहल करते हुए मुझे अत्यत हर्ष का अनुभव हो रहा था । अभी-अभी यह जानकर और भी प्रसन्नता हुई कि डेढ़ मास के अन्दर ही दीपावली के शुभ अवसर पर इसका दूसरा मस्करण भी प्रकाशित होने जा रहा है । सचमुच ही यह एक अद्वितीय ग्रंथ है जो आधुनिक युग में आत्म जिज्ञासुओं को राष्ट्रभाषा के माध्यम से पूज्य भगवान कन्द-कन्द की अमरवाणी का रसास्वादन करने में पर्याप्त सहायक सिद्ध होगा। इस दृष्टि से इसका अधिकाधिक प्रचार एवं प्रसार करना हम सब का ही परम कर्तव्य है। मुझे पूर्ण आशा है कि इस उपयोगी रचना का सर्वत्र समादर होगा और इसके द्वारा जन-मानस में आध्यात्मिक रुचि एव निष्ठा में बद्धि होने के साथ ही अध्यात्म संबंधी अनेक भ्रमो का उन्मूलन होकर जीवन में एक नवीन चेतना का उदय होगा। होरालाल [रावराजा, रायबहादुर, राज्यरत्न, दानवीर, श्रीमंतसेठ]

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