Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal
View full book text
________________ श्री सदैववत्स // विहविलसियाण खलमासियाण तहकूमहिल चरिआणं // // मणचिंति आरपारं जाणइ जश् होइ सव्वन्नू / / राज्ञोऽग्रे मन्त्रिणा प्रोक्तं स्वामिन् स्त्रीणां चरित्रकम् // दुरधिगम्य मेवास्ति शृणु शास्त्रे प्रदर्शितम् // 17 // श्रीपुरेऽभून् महाश्रेष्ठी यथा श्रीपतिनामकः // अकदा देहचिंताथै स्वयमेव बहिर्गतः // 18 // ki तेनेकं पतितं दृष्टं कुत्रचिन्नृकपालकम् // तत्रास्त्ययं नरो जीवन् शतनृवधकारकः // 19 // भविष्यति मृतोऽयं त्वेकोत्तरशतघातकः // विधिना लिखिता तेन लिपि दृष्टा च वाचिता // 20 // KE तदा तेन कपालं तत् कौतुकाक्षिप्तचेतसा // दुकूलवेष्टितं कृत्वा क्षिप्रं क्षिप्तं करंडके // 21 // समानीय गृहे प्रोक्तं भार्यायै तेन हे प्रिये // त्वया नोद्घाटनीयोऽयं कदापीति करंडकः // 22 // उद्घाटितः करंडोऽथ प्रच्छन्नमेकदा तया // तन्मध्ये चैतया दृष्ट्वा नृकपालं विचिंतितम् // 23 // ka नूनं मत्स्वामिनोऽतीव वल्लभाया इदं स्त्रियः // कस्याश्चित्तु मृतायाश्च संभाव्यते कपालकम् // 24 // तत्प्रेमप्रतिबद्धेन तेनेदं च करंडके // दुकूलवेष्टितं कृत्वा रक्षितं सुप्रयत्नतः // 25 // ति विद्यार्य कोपेन ज्वालितं चुल्हके तया // तस्य रक्षां पयोमध्ये क्षिप्त्वा पीतं च तत्पयः // 26 //

Page Navigation
1 ... 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196