Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal
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________________ चरित्रम् की सदैववत्सा विनयं राजपुत्रेभ्यः पंडितेभ्यः सुभाषितम् // कपटं पण्यनारीभ्यो धर्म शिक्षेन्मुनिव्रजात् // 67 // साधूनां दर्शनं पुण्यं तीर्थभूता हि साधवः // तीर्थ पुनाति कालेन सद्यः साधुसमागमः // 6 // पठितं तेन चाणाक्यनीतिशास्त्रमपि द्रुतम् // क्रीडति श्लोकराशीना मर्थ विज्ञावयन् सदा // 69 // श्यामार्याख्यान् गुरून् दृष्ट्वाऽथैकदोद्यान आगतान् // वन्दनामकरोद्वत्सः शिरसि सुकृतांजलिः // 70 / / | गुरुभि श्चापि तं योग्यं विज्ञाय वर्णितस्तदा // तस्मै जीवदयामूलो धर्मश्च ज्ञानसंयुतः // 71 // न वीतरागादपरोऽस्ति देवो, न ब्रह्मचर्यादपरं तपोऽस्ति / नाभीतिदानात्परमस्तिदानं चारित्रिणो ना परमस्ति पात्रम् // 72 // | उपदेशं गुरो मुखाच्छृत्वा स गुणसुंदरः // चिंतयत्येव मेते हि सत्यधर्मप्ररूपकाः // 73 // गुरव एव पूजाऱ्या विद्यतेऽपि महीतले // अत उक्तं हि शास्त्रेषु ज्ञानिदाने महाफलम् // 7 // ज्ञानयुक्तः क्रियाधारः सुपात्र मभिधीयते // दत्तं बहुफलं तेन धेनुक्षेत्रनिदर्शनात् // 7 // प्रबुद्धःसन् स सम्यक्त्वमूलानि गुरुपार्श्वतः // द्वादश व्रतकर्माणि शीघ्रमङ्गीचकार ह // 7 // धर्मलाभेन दृष्टोऽसावन्यदाऽचिंतयद् हृदि // अतोऽवश्यं च कर्तव्यं सुकृतं भुवि मानवैः // 7 //

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