Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal

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Page 187
________________ आर्यदेश कुलरूप बलायु बुद्धि बन्धुर मवाप्य नरत्वम् // धर्मकर्म न करोति जडो यः पोतमुज्झति पयोधिगतः सः // 57 // // धम्मायरिएण विणा अलहंता सिद्धि साहणोवायम् // अरयव्व तुंबलग्गा भमंति संसार चक्कंमि॥ इत्यादि देशनांश्रुत्वाऽतीव हृष्टो गुरोर्मुखात् // स्वपूर्वभवजिज्ञासुः कृत्वांजलिं व्यजिज्ञपत् // 58 // केन पुण्यप्रभावेण हे भगवन् ममाऽभवत् // राज्यश्रीर्देवतातुष्टि वरप्राप्ति द्विषजयः // 59 // सर्व मयि कृपां कृत्वा कथयत सविस्तरम् // प्राह श्रीकालिकाचार्यः श्रुतज्ञानोदधिस्तदा // 60 // शृणु राजन् भवं पूर्व गजेन्द्रराशिशोभितः // विंध्याचलाभिधो नाम्ना गिरिवरोऽस्ति भूतले // 1 // बहुयोजनविस्तीर्णा राजादन्यादिपादपैः // संयुक्ता वर्तते पल्ली तत्र लतादिमंडिता // 2 // नगरं वर्तते तत्र पल्ल्यां च गोत्रकाभिधम् // भूपति र्व्याघ्रनामास्ति व्याघ्र इव पराक्रमी // 63 // तस्य धारल्लदेव्याख्या राज्ञी तत्कुक्षिसंभवः॥ गुणसुंदरनामाभूत् पुत्रः प्रकृतिसुंदरः // 6 // | दयागुणाईचित्तः स न्यायगुणसमन्वितः // पठति लेखशालायां छन्दोऽलंकारलक्षणम् // 65 // मत्तद्विरदसंकाशयोवनेऽत्यध्वगामिनि // पुरुषस्याधिरूढस्य न शास्वादन्यदकुशम् // 66 //

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