Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal
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________________ चामरग्राहिणीवारवधूभिश्चारुचामरैः // अपनीतश्रमस्वेदबिन्दुः स प्राविशत्पुरम् // 37 // .. प्रासादेऽसौ समागत्य ततः स्वमातृपादयोः // चकार प्रणतिं तेन सहर्षा साऽभवत्तदा // 38 // RE] पुत्रवियोगसंतप्ता साधुना पुत्रदर्शनात् // शीतलहृदया जाता स्नातेवामृतवारिणा // 39 // पुत्रजनविप्रयोगो वन्हेरपिदुःसहो न सह्यः स्यात् / / यदर्शनमात्रेण शाम्यति तत्क्षणा देव हृदो दाहः // 40 // ततो वभ्वा वपि श्वश्रूपादौ प्रक्षाल्य दुग्धतः // स्वर्णपुष्पैश्च संपूज्य प्रणमतः स्म पादयोः // 11 // समुपविश्य राजापि कर्पूरादिसुताम्बूलैः // पौरलोकं च सन्मान्य सभायां विससर्ज ह // 42 // स्वस्याविमृश्यकारित्वं पुत्रनिष्काशनं च तत् // निदंश्चकार पुत्रस्य नृपति गुणवर्णनम् // 43 // ता अवमाणं रोसो तावच्चि अपुव्व दोस संभरणम् // उक्कीरिआवहिमए जाव चहुदति नेवगुणा॥ निजसुतं कुमारं तं संस्थाप्य स्वासने शुभे // अतीवाहादितो नृत्वा प्रोवाचाथ महीपतिः // 44 // तदा हे वत्स दुर्बुद्धे मन्त्रिणश्च दुरुक्तिभिः // ममोखलास क्रोधाग्नि र्वात्येव दुर्बलश्रुतेः // 45 // मया च तेन हे तात तदाविमृश्य सत्वरम् // विरूपं ते कृतं नूनं सुतस्य गुणशालिनः // 46 //

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