Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal

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Page 186
________________ की श्री सदेववत्स पढम चिअ रोषभरे जा वुद्धि होइ सा न कायव्वा // अहकीर ता तीसे न सुंदरो होइ परिणामो॥ K सहसित्ति दिठ दोसो मा पुत्तय विप्पि अंकुलसि ॥शान्ति रोसो परिमि अंतो कालेण रसायणं होइ // विप्रियं विहितं तुभ्यं मया तत्क्षम्यता मिति // मानवाक्यैः समाहृाद्य सुतं राज्ये युयोज सः // 17 // कियद्भिश्च ततो वर्षेः कुमारस्य चकार सः // पट्टाभिषेककार्य च प्रहर्षेण महीपतिः // 48 // प्रभुवत्सो जिनोपज्ञधर्मरतः स्वयं नृपः // प्रांते चाराधनं कृत्वा काले स्वर्गमवाप सः // 49 // दुष्टमंत्रीक्षणादेव नष्टो नदीकुलद्रुवत् // वत्सोऽथ न्यायमार्गेण पालयति प्रजा मुदा // 50 // विविधधर्मकार्येण भावयजिनशासनम् // पृथिव्यां वादयामास स्वयशःपटहं पटु // 51 // स्थापितौ द्वौ च तौ पुत्री करकोटपुरे ततः // अंतरांतर मागत्य तातं प्रणमतः स्म तम् // 52 // अथ श्रीकालिकाचार्यपादाश्च भूमिमंडले // उज्जयिनीपुरोद्याने विहरंतः समागताः // 53 // तत उद्यानपान नृपाग्रे तन्निवेदितम् // तद्गुरुवन्दनायैव सहर्षोऽसौ समागतः // 54 // भवाब्धितारकाणां स विधाय बहुवन्दनम् // भक्तिभरात् स्तुतिं कृत्वा सोपविष्टश्च तत्पुरः // 55 // गुरुभिरपि तत्रैव प्रारब्धा ज्ञानदायिनी // सजलमेघगंभीरध्वनिभिर्देशना तदा // 56 //

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