Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal

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Page 191
________________ | भोभो नरा नरं यूयं मुञ्चतैनं तु बन्धनात् // तत्स्थाने मां च गृह्णीत तच्छ्रुत्वा तेऽतिविस्मिताः॥९॥ प्रोचुश्च तृणवत्प्राणान् परार्थे गणयत्ययम् // पश्यताहो जनाः सर्वे प्रकृत्यैवोत्तमाः शुभाः // 99 // स्वागदाहेऽपि कुर्वन्ति प्रकाशं दीपिकादशा // इन्धनं दह्यते वह्नौ जनपोषणहेतवे // 1500 // विचायेंत्यपि ते लोकाः प्रोचुस्तं प्रति सत्वरम् // नरोतम वयं त्वेनं त्यक्ष्यामो नैव सर्वथा // 1501 // - तदा राजकुमारोऽपि स्वासि माकृष्य क्रोधनः // त्रासयामास तान् सर्वान् कृतवान् मुक्तलं च तम् 2 Jes ततो राजकुमारोऽसौ स्वयं देव्याः समीपगः // लग्नो वाहयितुं खङ्गं निजकण्ठे प्रहर्षतः // 3 // तावदेवी करे धृत्वा प्राह तं साहसिन् कथम् // स्वासिना स्वशिरः छित्वा पूजनं त्वं करोषि मे // 4 // स ब्रूते भो महादेवि तवाऽहं तुष्टिहेतवे // करोम्येवं निशम्येति प्राह तुष्टा सती च तम् // 5 // KS कुमार तव सत्वेन तुष्टाऽस्म्यतो वरं वृणु // स आह देवि तुष्टासि जीवहिंसां तदा त्यज // 6 // | देव्यापि तन्मुखाद्धर्मश्रवणानंतरं ततः॥ प्रतिबोधं च सा प्राप्ता हिंसां तत्याज सर्वदा // 7 // अथ तेऽपि जनाश्चित्ते कृत्यं दृष्ट्वातिविस्मिताः // चक्रु स्तस्य कुमारस्य प्रशंसां गुणशालिनीम् // 8 // एवं तत्र बहूनां स जीवानां प्राणरक्षणम् // विधाय स्वपुरं यातः कुमारो गुणसुंदरः॥९॥

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