Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal

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Page 183
________________ बालौ तु प्रेषितौ तत्र परं वैरिदलं महत् // मानयोस्तेन संग्रामे भूयात्पराजयो मनाक्॥१३॥ कालदेपोऽपि युद्धेन मास्तु बहुदिनैस्तथा // इत्यादि चिंत्या वत्सश्चिंतयत्याकुलो हृदि // 14 // गुणाय न कृतं कार्य तदतिरभसेन यद् // अहं तानाशयिष्यामि जित्वा देविप्रसादतः // 15 // hd शीघ्रकृत्ये समुत्पन्ने विलंबयति यो नरः // तत्कृत्ये देवता तस्य कोपाद्विघ्नं प्रयच्छति // 16 // यस्य यस्य हि कार्यस्य सकलस्य विशेषतः // क्षिप्रमक्रियमाणस्य कालः पिबति तद्रसम् // 17 // - इति विचार्य वत्सोऽसौ पुत्रस्नेहानुबधीः // ततः शीध्र मरीजेतुं चचाल सुतयोरनु // 10 // न स स्यात् पितृषु स्नेहो न देवे नापि सद्गुरौ // न मित्रे नापि वित्तेच यादृक् पुत्रेष्वकृत्रिमः // 19 // वत्सेनाथ जनं प्रेष्य स्वकुमारौ विलंबितौ // ततः सदयवत्सोऽपि क्रमेण मिलितस्तयोः // 20 // पितुश्च पुत्रयोरेवं सैन्यमेकत्र मिलितम् // तावत्तै चिंतितं चैवं विद्वेषिभिर्महाबलैः // 21 // नूनं कोऽपि महान् राजा प्रभुवत्सस्य भूपतेः // सहायकरणायात्र समागतो विलोक्यते // 22 // इति विचार्य सर्वे ते संभूय तमढौकयन् // संग्रामाय तदा तत्र घोरयुद्ध मजायत // 23 // पतिता बहवस्तेच संग्रामे वैरिणो भुवि // क्षणाद्वैरिबलं भग्नं काकनाशं ननाश च // 24 //

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