Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal

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Page 180
________________ चरित्रम् Ka रूपश्रियाश्विनांपुत्रा विव सर्वसुखावही // परमप्रीतियुक्तो तौ चिक्रीडतुः परस्परम् // 78|| K कोऽपि भट्टोऽन्यदा घेतः सदयभूपतेः पुरः // पपाठापूर्वशब्दार्थी तत्कीर्तिकाव्यमालिकाम् // 79 // सालवाहनराशोऽपि पठितं काव्य मुत्तमम् // यशः स्फुर्तिप्रतापौ च प्रभुवत्सस्य भूपतेः / / 80 // - दत्तं राज्ञाथ तुष्टेन तस्मै तुरंगमादिकम् // पृष्टं च भट्टराज त्वं कुतः स्थानात्समागतः // 8 // भट्टोऽवददहं राजन्नुज्जयिन्याः समागतः॥ श्रुत्वा स्वनगरीनाम सदयो हर्षवानऽभूत् // 82 // स्वदेशपुरबन्धूनां नामश्रवणतो नरः // उल्लासी जायते शीघ्रं किं पुनस्तजनागमे // 3 // - अपृच्छत् कुशलोदन्तं राजा तस्य पुरस्य च // भट्ट उवाच हे देव कुशल मधुनाथ किम् // 84 // - उज्जयिन्या यतोऽतीव विरुपं वर्तते महत् // तन्निशम्य ससंभ्रान्तोऽपृच्छत् किं तद्विरूपकम् // 85 // भट्ट आहाथ हेदेव पूर्व तत्र किमप्यभूत् // सम्यगहं न तद्वेद्मि नवीनोऽहं समागतः // 86 // नगर्या लक्षणावत्या आगत्य तत्र संस्थितः॥ जातं षटुं च मासाना मुजयिनीस्थितेर्मम // 87 // तदा तत्र श्रुतं देव पुरीलोकाननान्मया // भूपतेः प्रभुवत्सस्य सुतेनात्र गजो हतः // प्रेरितेन ततो राज्ञा विद्विष्टमंत्रिणा परम् / अत्यपमानितः पुत्रो विदेशेऽतो जगाम सः // 89 //

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