Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal

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Page 175
________________ इतश्चैको जनः कोऽपि नारीद्वयसमन्वितः॥ प्रविष्टोऽत्र नृपादेशाद् द्वारपालनिवेदितः // 22 // राज्ञा प्रोक्तं ततस्तस्मै स्वं कार्य त्वं निवेदय // इति राज्ञो वचः श्रुत्वा महिलेकाऽवदन्नृपम् // 23 // मम रूपं विधायायं हे राजन्ननया स्त्रिया // द्वितीयया मम स्वामी स्वायत्तीकृत एव वै // 24 // ममायं भपते भर्ता चावयोरंतरं द्वयोः // भ्रमादेवमजानानश्चिंतातुरः स्थितोऽस्ति हि // 25 // द्वितीयया तदा प्रोक्तं राजन्नेषाऽलिकास्ति वै // अहं सत्यास्मि तद्भार्या चावयो निर्णयं कुरु // 26 // राज्ञाथ विषये तस्मिन् पृष्टाः सर्वेऽपि मंत्रिणः // तन्निर्णयं परं कोऽपि क्षमो वक्तुं नरो नहि // 27 // प्रांते तेनाथ वत्सेन दूरीकृत्य तयोः पतिम् // तयोः प्रोक्तं च भामिन्यौ शृणुतं वचनं मम // 28 // स्थिताऽत्र युवयोर्मध्याद् भर्तुः स्पर्श करिष्यति // सत्यो भर्ताऽस्त्ययं तस्या अन्यालीका च संमता॥२९॥ कुमारेण तदेत्युक्ते सत्या भार्या तु तस्य या // सचिंतीभूय तत्रैव स्थिता तूष्णीं बभूव ह // 30 // व्यंतर्या दिव्यशक्त्या च तत्रस्थयैव दूरतः // निजभर्ता यदा स्पृष्टो वत्सेनाथ परीक्षिता // 31 // व्यंतरी सा कुमारेण खङ्गं निष्कास्य भापिता // स्वयमेव सती द्रुतं ततस्तदा पलायिता // 32 // | नृपादयोऽपि तदृष्ट्वा सर्वे सभ्याश्चमत्कृताः // बुद्धिं प्रशंसयामासुः कुमारस्यातिहर्षतः // 33 //

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