Book Title: Sadaivvatsakumar Charitram
Author(s): Matisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
Publisher: Ratilal Keshavlal

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Page 169
________________ | कमलेन पुनः प्रोक्तं हे राजन् भवदन्तिके // प्रकटीकरणेनास्य महानर्थो भविष्यति // 1 // | मुंचतातः कृपां कृत्वा यूयं जवत्कदाग्रहम् // राजोवाच द्रुतं तस्य त्वं प्रकटय कारणम् // 52 // तव तद्विषये कोऽपि ह्यपायो न भविष्यति // एवं नृपाग्रहं दृष्ट्वा कमलस्तत्परोऽभवत् // 53 // पादद्वयसमुल्लंघ्या गर्ता तेनाथ खानिता // आकारितं ततः तत्र सर्वमंतःपुरं च तत् // 54 // | तद्वचसा च सर्वास्ता लंघते तामपि द्रुतम् // एकोत्तरशतं चैव राज्ञीनां लंघने गतम् // 55 // | सप्तापि पुरुषा आसंस्तासु स्त्रीरूपधारिणः / चतुर्नवति रेवासन् राझ्यः स्तत्र परीक्षिताः॥ 56 // | तेनाथ प्रकटीकृत्य पुरुषाः सप्त दर्शिताः // दृष्ट्वा सभासमक्षं तत् सर्वे जनाश्चमत्कृताः // 57 // स्त्रीपुरुषविशेषोऽयं ज्ञातो भो कमल त्वया // कथमिति नृपस्योक्तिं श्रुत्वा स कमलोऽवदत् // 58 // गाया लंघने स्त्रीणां वामपादस्तु भूपते // उत्पतति नराणां च दक्षिणः कथितो बुधैः॥ 59 // एवं चैतत् परीक्षातो विभागः कल्पितो मया // मत्स्यहास्यमपि ज्ञेयं हे राजन् कारणादतः // 6 // स्त्रीमाया गहना प्रोक्ता देवानां कौतुकप्रदा // हसितं व्यंतरेणातो मत्स्यमुखेऽवतीर्य तत् // 61 // श्रुत्वा वृत्तांत मित्यादि भूपतिनापि सत्वरम् // प्रदत्तं कमलायाध स्वीयं राज्यं प्रहर्षतः // 62 //

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