Book Title: Rushibhaashit Sootraaani
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 10
________________ ऋषि भाषित प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि ......... अध्ययन-[४], .........मूलं H / गाथा [१-२७] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शित:) "ऋषिभाषित-सूत्राणि"-मूलं [४] 'अंगरिसि' अध्ययनं वर्तते] सूत्रांक गाथा ||१-२७|| TELउलूका पसंसंति, अंपा शिंदंति वायसा। जिंदा वा सा पसंसा वा, वायुजालेब्ध गच्छती ॥ २० ॥ जंच दाला पलंसंति, जया जिंदन्ति कोबिदा। णिदा वा सा पसंसा वा, पप्पाति कुरुए जगे ॥ २१ ॥ जो जत्थ बिज्जती भाबो, जो वा जत्थ ण विज्जती। सो | सभावेण सब्बोबि, लोकमि तु पवत्तती ॥ २२ ॥ विसं वा अमतं वावि, सभावेण उवहितं । चंदसूरा मणी जोता, तमो अगी दिव' खिती ॥ २३॥ वदंतु जणे जं से इच्छियं, किंणु का(क)लेमि उदिपणमप्पणो। भावित मम णस्थि पलिसे, इति संखाए ण मंज लामह ॥ २४ ॥ अक्खोबंजणमाताया, सीलव' सुसमाहिते। अप्पणा वमपाध, चोदितो बहते रहे ॥ २५ ॥ सीलक्खरहमारुढो, पाणदं सणसारथी । अप्पणा पोव अप्पाण', जदिता सुभमेहती ॥ २६॥ एवं से युद्धे मुत्ते॥४॥चउत्थं अंगरिसिणाम झयण ॥४॥ दीप अनुक्रम [३४-६०] ~10~

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