Book Title: Rushibhaashit Sootraaani
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ ऋषि भाषित प्रत सूत्रांक [१] गाथा || 8-4|| दीप अनुक्रम [१२६ 131] ॥ १० ॥ विभाषि तेषु प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि --------- अध्ययन-[११], ........मूलं [१] / गाथा [ १ - ५] मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलित ( पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शितः) "ऋषिभाषित-सूत्राणि - मूलं --------- [११] ‘मंखलिपुत्त’ अध्ययनं "P सहिअ ोव आणञ्च मुणी संसार अणच्चाए से तातिते, मंखलिपुचेण अरहता इसिणा वुइयं से एजति वेदति खुब्भति घट्टति देति चलति उदीरेति तं तं भाव परिणमति ण तता से से णो एजति णो वेधो ख० जो घ० णो फ० णो च० णो उचो त त भाव परिणमति से तातो तारजा नाती लुप्या च परं च वारंताओ संसारकंताराओ तातीति ता-असंमूढो उ जो णेता, मग्गदोसुपरकम गाउं जातिगामिनं ॥ १ ॥ सिद्धकम्मो तु जो बेज्जो, संत्थकम्मे य कोविओो मोयणिज्जातो सो वीरो, रोगा मोति रोगिणं ॥ २ ॥ जोर जो विहाणं तु वाणं गुणलाघवे । सो ( उ ) संजोगणिकरणं, लवं कुण कारिये ॥ २ ॥ बिज्जोपवण्णाः जो धीमं समजतो सो विज्यं साहइत्ताणं. कज्जं कुणइ तबखणं ॥ ३ ॥ शिवलिं मोक्वमग्गस्स सम्मं जी तु विज्ञाति । रामशेसे शिराक से सिद्धि गरिस्वति ॥ ४ ॥ एवं से सिद्धं बुद्ध ० ॥ ११ ॥ मंचलित णामयणं ॥ १२ ॥ i ~ 19~ ॥६॥ १२ जण्णवकीय १३ म यालिअजायण'

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67