Book Title: Rushibhaashit Sootraaani
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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ऋषि भाषित
प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि
...... अध्ययन-[२५], ........मूलं [२] / गाथा [१-२] ......... मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शित:) "ऋषिभाषित-सूत्राणि-मूलं
। [२५] 'अंबड' अध्य यन (वर्तते)
प्रत सूत्रांक [२] गाथा ||१-२||
से जथा णाम ते साकडिए अक्वं मक्खेज्जा एस मे णो भज्जिस्सदि भारं च मे बहिस्सति, एवामेवोधमाए समणे णिग्गथे छहिं ठाणेहि आहार
आहारेमाणे वा णो अतिक्कमेति, वेदणा यावच्चे तं चेव, से जथाणामते जतुकारए इंगालेसु अगणिकायं णिसिरेज्जा एस मे अगणिकाए णो विझाहिति जतुं च ताविस्सामि, एवामेवोवमाए समणे णि गंथे छहि ठाणेहिं आहार आहारमाणे णो अतिक्कमेति वेदणा वेयाबच्चे तं चेव, से
ज णामते उसुकारए तुसेहि अगणिकायं णिसिरेज्जा एस मे अगणिकाए णो विज्झातिस्सति उसु च तावेस्लामि, एवामेवोवमाए समणे I णिगंथे० सेसं तं चेव ॥॥ एवं से सिद्धे, बुद्ध विरए विपावे ॥२॥ अंबडम्झयणं ।। २५ ॥
दीप अनुक्रम
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२८१]
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