Book Title: Rushibhaashit Sootraaani
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
ऋषि भाषित
प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि
... अध्ययन-[१४], .........मूलं [१] / गाथा [१] ......... मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शित:) "ऋषिभाषित-सूत्राणि"-मूलं
_[१४] 'बाहुक' अध्ययनं
सत्राक
lal
गाथा
जुत्त' अजुत्तजोग अपमाण मिनि बाहुकेश अरहता इसिणा वुइतं - अप्पणिया खलु भो अप्पाणं समुफसिया, mal भवंति बच बिंधे पारणली अप्पणिपा खलु भो या अप्पाणं समुक्कसिय समकसिय भवति धनुनिधे सेट्ठी, एवं रोज आणुयोये जाणाहर PA खलु भो लमणा माहगा जामे अदुवा रपयो अदुवा गामे जोऽवि रणे अभिणिम्सए इमं लोग्न परलोयं पंणिम्सए, दुहओऽबि लोके । अयतिहिने, अक्रामर पाहुए प्रतेति , अकामए चरप तवं अकामए कालगए. परक पत्तं, अकामए पव्वइए अकामते चरते
नवं अकामएकालगए लिद्धिपत्त अकामए, सकामए पव्वदप सकामए चरते तवं सकामए कालगते णरगे (ग)ते, सकामए चरते नवं सकामर कालगते सिद्धि से सकाभए । एवं से सिद्ध बुद्ध ॥ बाहुकणामभयम्॥ १४ ॥
दीप अनुक्रम [१४४१४५]
~22~

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67