Book Title: Rajasthani Hastlikhit Granthsuchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 42
________________ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथ सूची, भाग - १ ] क्रमाक ग्रन्थाक ६६२ ३५५५ (३१) | जिनरस ६६३ | ३५७५ (५०) जिनप्रतिमा स्थापन स्तवन ५०७३ ६७३ ७४४४ (३) ६७४ ! ३२०० ६७५ ४९१४ (२६) | ६७६ ४९०५ (७-९) ६७७ ३५५५ (१३) ६७८ ५४५६ ६७९ | ३५४३ (६) ६८० | २५८३ ६८१ ४९१४ (५४) ६८२ ५४१८ (२० ) ग्रन्थ नाम ६६४ ३६८५ ६६५ ३५७५ (५४) ६६६ (३५७५ (६२) ६६७ | २३६८ (१६) जिनवीनती ६६८ ( ३५७५ (७१) | जिनहर्षसूरि भास ६६९ ३५७५ (६६) ६७०२८९३ (३५) ६७१ । २१२५ ६७२ जिनरग बहुत्तरी जिनरक्षित जिनपाल चोढालियो जिनवाणी स्तुति " जिनहससूरि गीत जिनाज्ञा स्तवन सविवरण जिनेश्वर पूजा पद्धति जीव विचार "" जीराउला पार्श्वनाथ स्तवन जीवसिखामण रास जुवानीरा दूहा श्रादि जैतसी उदावतरी वारता जैन बोल संग्रह जोग पावडी जोग बत्रीसी जोगीरासा कर्त्ता आदि ज्ञातव्य जिनहर्ष जिनरग उदय रतन शिवचद्र कनककीति शिवचद्र नेमिसागर सोमविजय प्रभुचद्र गोरखनाथ सोम जिनदास "1 लिपि समय १९वीं २०वीं १८व २०वीं "" १६वीं २०वीं "" १७वीं १८वीं "" १८८५ १७४५ १८७७ १९वी 91 १८८५ १८वीं १८७७ १वीं पत्र संख्या |१७०-१७४ ! | २४१ - २४८ २ २५२-२६० | २६४-२६५ ५०-५१ (३०५-३०६ | २६८-२६६ ६६ वाँ ५ १६८ १२१-१२६ ३ २४२-२४४ ३१-३६ ६०-६५ ५३ १०-१४ १ | ३००-३०२ | १४३ - १४५ [ ३४ विशेष उल्लेखनीय स १८५८ मे रचित

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