Book Title: Rajasthani Hastlikhit Granthsuchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 121
________________ ११४ ] [ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान अध्यात्म गुणनी एह माला । भविक जन कठिं ठवो । जिम नहो मंगल लीलमाला अचल अनुभव अनुभवो ॥ १ इति अध्यात्मसारमाला संपूर्णाः ॥ ग्रं० २७५ । ६६. ३५४६ (८) अनंत रायसापलारी वारता आदि- ०॥ श्रीगणपत्ये नमः ॥ अथ वार्ता- अनंतराय सांषलो उगो बालो जेसो सरवहीयो तिणरी वात लिप्यते ।। समुद्ररै विचै कोइलापुर पाटण । तिणरो धणी अनंतराय सांषलो। छत्रधारी तीणरो वडो गढ । वडी जमीतरो धणी छैन। तिणरे एकसो एक भाई भतीजा छ । तिके गढ माहै भेला रहै छै । हुकमी थकां चाकरी करै तिणां कनै असवारी नै घोडो १ नै षवास १ सागडदपे सारा आदमी ४ कनै रहै ....। अन्त- दूहो । महमद यु मन जांण, वले न धारै वेगडो । जेसा वडां जवांन, करता जंग कवाट उत ।।१।। वात ॥ पातिसाह पचास असवारांसुअहमदावाद आयो । बीजा तो ५ । जेसाजीरै चरण चहोम्वा । संवत् १३०० माहे हुउ । इतसूसूरां पूरां क्षत्रीयांरी वात संपूर्ण ।।२।। श्रीरस्तु । ६७. २१५६ अरजनहमीररी वात आदि- ०॥ अथ वात अरजनहमीरनी वातः ।। अहिलवा. पाटणा गोहिल भीम राज्य करै। गुजरातमै बेगडौ महमंद राज्य करै । वेगडो महमंदसुभीम लडाई लीधी। भीम काम पायौ । वडौ बेटौ अरजन । लहुडौ बेटौ हमीर जाहरां भीमजी काम पायौ । अन्त- आंबर लगै उभारि, माथै षांन मसूर । तन वह रे तरवार, मुंइ लग पुंहती भीम उत ।।११ सोहडे सोरठी ए, पुरसातल पाटण तणे । ले षडकी युषमेह, भारत म्हीण भीम ऊत ।। १२ इति अरजन हमीररी वात ॥ १२७. २१७७ आणंदसंधि आदि- दि०॥श्री।। वरधमांन जिनवर चरण, नमतां नव निध होइ ।। संधि करू आणंदनी, सांभलिज्यो सह कोइ॥१॥ अन्त- संवत दिसि सिधि रस सिसि, तिण पुरी मइ किधी चउमास । ए संबध किय उर लिया, मणउ सुण ताथाय उल्हास ॥४६॥धन० इति श्रीमारणंदसंधि संमापतं ।। संवत १६६६ वर्षे मासे फागुण विदि द्वितीया गुरुवारे श्रीराजलदेसरमध्ये ॥ श्रीलालजी लिषाइतं ॥ यादृसं पुसतके दृष्टं तादृष्टं लिषतं मया । यदि सुधम सुं वा मम दोष म दीयते ॥१॥ लिषतं ब्राह्मण हरषा । १६१. ३४६७ धारामशोभा चोपाई आदि- दि०॥ श्रीगुरुभ्यो नमः ॥ दहा ॥ प्रह ऊंची प्रणमुं सदा, पारसनाथ प्रगट्ट । ___महिमा घणी मुलतारण मइ, दीठां हुवइ गहगट्ट ॥१

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