Book Title: Rajasthani Hastlikhit Granthsuchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 135
________________ १२८ ] [ राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान महाराजकवार श्रीराममिघजी श्रावण सुदि १० गुरवार जोधपुरमै टीक बैठा। अन्त- सबत १८१३रा आसोज मुदि ८ महाराज विजैसिंघजी मेडते अमल कीयो। सोझत पिण तुरी लीधी। तरै रामसिंघजी जैपुर गया। राजा ईसरसिवजीरी बेटी परणीया सबत १८१३रा पोस वदि १ मगलवार । इति मारुषडविषारी वारता सपूर्ण । कवित्त- दिषणी मुरधर देस राम राजा ले आया। लारा लगावै रार काल पिण पडया मवाया ॥ - धरती हुई पराब लटकोस घणी मचाई। दुनीयारा षोगाल गउ पिण कटी सवाई । सबत अठारै इग्यारोतरै बारोतरो पिण जाणीयो । तीनु काल मिल एकठा तेरोतरोही पिछाणीयो । १२८६ १०४ माधवानलकामकदला चोपाई आदि- माधवानल २ रूपि मकरद । चवदह विद्याधर चतुर ॥ बिदुर जारिण सुरगुरु विचक्षण । नारद वर नाद गुण ।। लहु बेस बत्रिस लक्षण । कला बहुत्तरि अति कुमलक्षण ।। अभिनव इदकुमार । सदगुरु मुषि जिम मन लइ ॥ विरचिसु तेह चरित ।। २ अन्त- दूहा ॥ सवत् सोलसोलोत्तरइ, जेसलमेर मझारि ।। फागुण सूदि तेरमि दिवसि, विरची आदित्यवार ।। ५० गाहा गूढा चउपई, कवित कथा सबध ॥ कामकदलाकामिनी, माधवानल सबध ।। ५१ कुसललाभ वाचक कहइ, सरम चरित सुपवित्र । जे वाचइ जे सभलइ, तीया मिलइ धन गरथ ॥ ५२ गाथा माढी पाचसइ, ए चउपइ प्रमाण । सुणता भणता सुष दीयइ, जे नर चतुर सुजाण ।। ५३ रा ल माल सु पट्टधर, कुवर श्रीहरराज । विरची ए शृगार रस, तासू कतूहल काजि ॥ ५४ सारदसु प्रसाद करि सील तणइ आधारि। भरणइ सभलइ तेह नर, सुष पामइ नरनारि ॥ ५५ गथ ५०५५ ।। इति श्रीमाधवानलकामकदला चउपई ममाप्ता ॥ स० १६४३ वर्षे चैत्र वदि १० बुधवारे उत्तराषाढ नक्षत्रो मध्ये पल्लीवाल० भट्टा श्री शातिसूरि तत शि० देवीदास लिषत जयतारणे ।। १३०२. ९७१ मानतुगमानवती चोपाई आदि-आर्द॥ श्रीपरमात्मने नम ॥ प्ररणमु माता सरसती, प्रणमु सदगुरु पाइ । मूरषथी पडित करे, जस जगमे कहिवाइ ॥ १

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