Book Title: Rajasthani Hastlikhit Granthsuchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 134
________________ राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] [ १२७ दूहउ ।। नेम चदाइण जे भणइ रे, ते पावड घुसार । मुनि भाकड इम वीनवइ छोरउ भव के पार । ४६ इनि नेमनाय चदाइण गीत समाप्त ।। ३५७३ (४८) पनरमी विद्या प्रादि- ०।। श्री गुणेसायन्म अथ राजा भौजरी पनरमी वार्ता व्यास भवानीदासकृता लिष्यत्ते । अथ दूहा ॥ श्री गणपति सरसती सीव, विसना रवि गुरूदेव । व्यास करे अरदास प्रभू, देजे अष्यर भेव ।। १ अविरल वाणि आप जे, देज्ये सूबुद्धि सुग्यान । त्रियाचरित्र वरणत करू, धरे सुलछन ध्यान ॥ २ अन्त- कर न नार वचन चित धरयै । करीये भोग आलोच न करीये ।। सुष विलास बहुतेरा कीजै । दीलमु मरम भरम नही दीजै ।। ५३ त्रिय परपुरुष घणु वपाणु । चोटै वात पारकी प्राण ॥ देष जवाना चीत दीढावै। विधतासेह जु छिनाल वतावै ॥ ५४ (अपूर्ण) १०७५ ३५६० (४) पाबू धाघोलोतरा दूहा (अपूर्ण) श्रादि- ॥ श्री पाबु धाघोलोतरा दोहा मु० लध्यरा कया । देवी दे वरदान, मुणतो यु लध मालीयो ।। पाबमु परध्यान, गालतु तुवै गुण ॥ १ सुरनाया कुडाल, वरदायक हुइज वलै ॥ भल पाबु भूपाल, मलकहै या कीरत मुणु ॥ २ अन्त- वीरै वरजताह, मै कीघो मुज पामीयो । षट नह षाताह, माता सुरण बूझो मुण ॥ ६५ छेहडो विछावेह, मै समझायो मो दिसा ।। पिण लागो या एह, तो पिण न मान त्रिपट ॥ ६६ ११५५ ५८६७ बगसीराम प्रोहित हीरा को वात' १२६६ ३५४६ (२०) महाराज प्रभैसिंघ देवलोक हुवा तिण समयरी वार्ता प्रादि- ॥०॥ अथ वार्ता महाराजा श्रीप्रभसिघजी देवलोक हुवा मारवाडिमै विषो हुवो तिण समीयारी ।। सबत १८०६रा अशाढ सुदि १४री राति घडी २ पाछली रहिता महाराज श्रीप्रभैसिघजी अजमेर देवलोक हुवा नै दाग पोहकरजी दिरायो। पछ १ यह ग्रन्थ मूल सूची में भूल से छपना रह गया है । २ यह कृति प्रतिष्ठान से प्रकाशित हो रही है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156