Book Title: Rajasthani Hastlikhit Granthsuchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 132
________________ राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची भाग - १ ] ६८१ ४६१४ (५४) ६८३ जोगी रासा प्रादि- श्रथ जोगीरास लीपीते ॥ ॐ नम सोध्येभ्यो नमः ॥ प्रदिपुरिष जो प्रादिजगोत्तमु प्रादिजती श्रादिनायो । श्रादिजगोत्तमो जोग पयसो, जय जय जय जगनाथो ॥ १ तास परपर मुनिवर हुआ, दीगाबर सहिनारणी । कुदकुदाचरज' गुरु मेरै, पाहुजी कहिय कहाणी ॥ अन्त- जोगीह रातो सीषहु श्रावक, दुषन कबहु लहि सौ । दासह त्रिविधि हि सिधहु समरण कीजहु ॥ ४२ ईती जोगीरामो सपुरणमस्तु । ५४१८ (३१) टडाणा गीत प्रादि- टडारणा टडारणा बे, जियडे टडारणा टडाणा ॥ इत मसारै दुष भडारै, क्या गुरग देषि लुभारगा छे ॥ जिन ठग ठगिया नाद काले, फिर तस जोग पत्यारणा छे || ७१५ अन्त - करि उदिम श्रापन बल मडौ, भोगी अमर विमारणा छे । समिकि तपोहरण दस विधि पूरा, निरमल धरम कराणा छे ॥ सुधसरीरु सहज लवलावहु, भावहु प्रतर झा (गा ) छे । जपै बूचा तम सुष पावहु, वछै पद निरवारणा छे || इति टडारणा समाप्तम् । २३६८ (५) तारातबोलरो वार्ता आदि - अथ तारात बोलकी वारता लीपते । मुलतान वासी ॥ नाव ठाकुरसी । बुलाकीदास दुर देमकी वारता देषि प्रायो सु लीपी छै ॥ प्रथम गुजरातसु कोस ३०० स अहमदाबाद नगर है । ग्रहमदाबादसु कोस ३०० मैं प्रागरो छै । श्रागरासु कोस ३०० से लाहोर छै।" [ १२५ अन्त- "तारातबोल नगरकै आसि पासि सीभु नदी बहै छँ । चोगरद जीका पाट छै । आगेकी काई गम नही । मुलक जभी आसमान छै क नही छै । जी की ठीक नही । आ बारता मुलतान वासी नाम ठाकुरसी जाति षत्री बुलाकीदास देषि आयो सो लीषी छै । तारात बोल श्रागरास ५५५१ कोम है । आगे धरती है जीको बिचारतो केवली जागे सहर १ आगे बतावै छै । जीको राह कोस २०० से आगे चाल छ । सो पडित होसी सो जाणसी । इ वात मजूब जागो मतीना ॥ इति श्रीतारात बोलकी वार्ता सपूर्ण । १ कुदकुदाचार्य (२)

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