Book Title: Rajasthani Hastlikhit Granthsuchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूचि - भाग - १ ]
६०४
६०५
११२२ (३)
श्रादि - || ६० ॥ श्रथ जगडूनो छद ॥
जगडूनो छद
गम रूप देवी प्रदेश | आपोग्राप अगम प्रदेश | श्रादि जुगादि नमो आदेश । अषर मपर देवगण प्रादेश ॥ १ ब्रह्मा विष्णु महेमर जाया । मोह जाल जिग जग मडाया ॥ आप कुमारी विष्णु उपाया । तु मोटी माता त्रिपुराया ॥ २
अन्त
कलश || नाकारो मुष नही दान घट वररणा देणो । दे दै कार दुवार लोभ छोडे जस लेगो ॥ श्रगमने उछरग भला गुरणगीत भरणावै । श्रमवाल भूपाल आज कुरण सम वड आवे || लालगणेस कज लीलो कहै मेर समोवट जाम मन । दाना रसको जाणे दुनी तिम जगडू व्रधमान तरण || ६ इति जगडू नवागरवालानो छद सपूर्ण ॥ ११२२ (१८) जगडूसाहनो जस
आदि - अथ भद्रेसर वालो जगडूसाहानो जस । छप्पै ॥ मूडा श्राठ सहस्स दीघ वीस लवण वीरै । बार मूडा सहस्स दीध सिंधवे हमीरे ॥ गजनवे मुलतान सहस मूढा इक वीसे । मालव पत्त्र अठार अने मेवाड बत्तीसे ॥ राया सधार इल पर हूम्रौ भवत बार श्रीलोत्तरे । जगडवे साह सोला तर करी प्रमध पनरोत्तरे ॥ १ मरग थकी सवरयो देस पुतो दकालह ।
नगर सरवे पलभल्या वार पोहनी श्रीमालह ॥ अने करयो आकलो धारतो घीनी वाहू । तो फेडू ठाम केतो जीवतो साहू ||
जगडू ए साह सोला तणे जकडबध गाढो जड्यो ।
मेल मेल माह जगड़ना नही पडू काल पनरोतरो ॥ २ जसवर्तासहजीका कवित्त
आदि - कवित्त महाराज श्रीजसवर्तासघजीरा कुवरा रा ॥ गुण गंभीर गणेश शेग मर्पेस सुगीजै । सुरतेतीसा सहित ससकति हित उपर कीजै ॥ नव नाथा नवग्रहा सत जन करो सहाई । रिषि रावा साधका कहे उपजे जिकाई ॥
६४८ २३६२ (७)
महाराज मरण मुरधर धरा, राजपाट किरण विध रहे ।
ब्रह्मा विसन शिव ईद्र सुरिण, कहै वचन सरसति कहै ॥ १
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