Book Title: Rajasthani Hastlikhit Granthsuchi Part 01
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 138
________________ राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग-१ ] [ १३१ अन्त- कास ॥ र म लिछमन अने रावण मति मीता नीचरी । कही भाषा चरीत माची, वचन रचन की षरी ॥ १ मग विनोद कवता, अन पावत, मुष भरगी। केगराज कवीद जौ, मदाहरष वधामगी ।। २ ईति श्रीढाल षष्ट्या रामयसोरमायरग चतुयोदिकार समाप्त सर्ब ढाल ६२ सर्व गाथा ३१६६ सर्व प्रथाग्रथ ४३७५ ईति रमायण समाप्त ॥ सवत १९७१ चैत्र मासे शुक्लपणे तिथ छठ ६ वार यादीत बार नै देहरनामे जमना टटे । लिषत रमायण साम्त्र पुरा कीया हगा बुधराम लिषत ।। १५३७ २३६४ (२) रूपदीपक पिंगल अादि- । श्रीरामजी ।। अथ रूपदीपक भापा लिषत ॥ दाहा ॥ सारदमाता तू बडी, सुबुधि देह दर हाल । पिगल किं छाया लीय, बरनौ बावन चाल ॥१ गुम गनेमके चरग गहि, हिय धारकै विम्न । कुमर भवानीदास को, जुगति करै जै किस्न ।। २ अन्त- बावन बरनी चाल मब, जैसे मोम बुद्ध ।। भून भेद जाको कही, करौ कबीसर श्रुद्ध ।। ३ मबत सतरै मै बरस, और छिहतर पाय । भादो मुदि दुतीया गुगै, भयौ अथ सुषदाय ॥ ४ सवत् १७७६ इति श्रीरूपदीपक पिगल भाषाग्रथ सपूर्णम् ॥१॥ स १८५८ मिती पोस सु । १५४७ ११२२ (६१) लााषफूलाणीरा कवित्त आदि-०॥ अथ लाषाफूलारणीना कवित्त लिष्यते । छापय । प्रथम चउद्दह कोडि सेन गह मिलै सुभट्टा । धर पूरव ऊमडै वहै सिर वाट उवट्टा ॥ जगल वारा मिरू लष्ष लोधी घर माही । वनचर चीध विलग्ग जाण वामणो पसाही ।। धूवलो गयण पुड धूजियो गभीर पच जोजन गियो। मम बीह मूर सत्त मारवा इद्र कहै लाषो अयो॥१ अन्त- मवत नव एकमे मास कारतक्व निरतर । पिता वैर छल महि सहउ राषाइत सद्धर ।। पड़ मा सो पनर प. सोलकी सो षट । प्रोगग्रीस सो चावडा मूत्रा छिल राज रिणवट । पातरे धमल मगल लहै सोल सीह नामी सरै। आठ मै पष्ष रा चाद्रणं मूलराज लाषो मरै ।। ५ इति लाषा फूलारणीना कवित्त मपूर्ण ।

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