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राजस्थानी हस्तलिखित ग्रन्थ सूची, भाग - १ ]
अन्त- स ईक्यासै ग्रासाद मासो । राजाजी कीयो देवलोक वासो । चोर्थे सीलोकै पेमोजी छाजै । जो ध्यांणे बाजे अविचल बाजे ।। ३१ ईती श्रीजीतसिंघजी को सीलोको संपूर्ण ॥ मिती वैसाप वदि ११ सन १८४८ का लीपतं नेमविज दाध्यामध्ये, जस वीजैजीका चेला नेमजी लीप्यो छै; कालमें लीषी छै धांनको भाव रुपीयो १) मेर ३६ स छो जदि ला पीढे ||
५४.
२८६३ (१२७)
श्रण हिल्लवाडपत्तन राजावली
आदि - संवत् ८०२ वरणराउ चाउड अणहिल्लवाडह पाटण वसावि | साठि वर्ष लगह राज्य पालिउ | एवं ८६२ श्रऊपर जांगिवड | नेह नह पाटि योग राजा नह राज्य हूऊं । वर्ष ३५ लगह राज्य पालिउ ।।
अन्त - श्रीकुमारपाल राजा राज्य वर्ष ३१ एवं संवत १२।३० | तेह नई पाटि अजयपाल राजा राज्य वर्ष ३ एवं १२१३३ तेह नइ पाटि बाल मूल राजा राज्य वर्ष २ एवं सं० १२३५ | तेह नः पाटि भीमदेव राजा राज्य वर्ष ६३ ।। इम सोलंकी ११ पाट पाटण नयरि राजवी हुया ||
५६. ७७४३
अध्यात्मरामायण भाषा
आदि- श्री गुणेसाये नीम ॥ सुरसती नीमो || श्री सीतारामजी सत छँ जी ॥ श्री रामाये नमा ॥ कथेतं अधातम रामायने भाषा लीषतं रामह्रदय || राज श्रीराजेसंघजी सभाषीत ।
ग्रन्त
चौपाई - जबै भुव भार भयो दुष्टते । तब ही देव गये जाचन प्रभु || चिदानंद सुंनी दस बानी । परजापते असतुते ही ठानी ॥ २ तीन सुप्त सन भेये भगवाना । चीदानंद यनकी सब जाना || मेघ गिरा बांनी जु वुचारी | सुनीक ब्रमा सते बीचारी ॥ २ दुहा || राम हीरदैको राजदानीने प्रीते करते बुचारै । सीयाराम हीरदे बसैय्या समे नाहे बीचारै ॥ ६५
राम हीरद भाषा अरथे कीनौ मते वु न मान 1
सुनी कह रीज न घारी है करीये मते अपमान || ६६
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ईती श्री धाम रामाणे रामै हीरदये भाषा ग्रस्थ सपुरन ॥ कथेते म्हाराजे श्रीराज
सीधजी || सुभ समुरर्थं ।
६०.
२२०३
प्रादि- ॥०॥ ॐ नमः परमात्मने ॥
दूहा || श्री जिन वांरणी नितु नमी, कीजइ प्रातम सूद्धि ।
चिदानंद सूष पामीई, मीटि अनादर असूद्ध ॥ १
अध्यात्मसारमाला
अन्त- इम जिनमत प्राराधो काज साधो भविक नि सुगी भावना । गुरि ठाfरण वाघो सुगो साधो करो निज मति पावनी ॥