Book Title: Pruthvichandra Gunsagar Charitra
Author(s): Raivatchandravijay
Publisher: Padmashree Marketing

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Page 3
________________ आर्थिक सहयोगी विदुषी सा. श्री मणिप्रभाजी की सुशिष्या सा. श्री क्षमाशीला श्रीजी की वरसीतप पारणा निमित्ते यह पुष्प प्रकाशन हस्ते : हेमराज, प्रसन्नदेवी रोहित, सचिन छत्रगोता परिवार चोराऊ फर्म: पद्मश्री मार्केटींग ८९५/३, शांति कोम्प्लेक्ष, नगरथ पेट, बेंग्लोर - २ प्रत : २००० किसीके बहते आंसुओं को सुखाने दो मुझे, किसीके घाव पे मरहम लगाने दो मुझे; जलाये है बहुत से पापों के चिराग मगर, प्रायश्चित्त के इग दिये को जलाने दो मुझे ।

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