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प्रेक्षाध्यान सिद्धान्त और
पीयूष ग्रन्थि
पाइनियल
थायरॉइड
पेरा-थाइरॉइड थाइमस
यकृत
पक्वाशय
in.
आमाशय
क्लोम ग्रन्थि। वृक्क बाह्यक
प्लीहा
उपवृक्क
' अण्डाशय
वृषण
शरीर के विभिन्न भागों में स्थित अन्तःस्रावी एवं बहि-स्रावी ग्रन्थियां गोनाड्स (काम-ग्रन्थियां)। ये सब ग्रंथियां अपेक्षाकृत काफी छोटी होती हैं। रक्त द्वारा उन्हें विपुल मात्रा में पोषक सामग्री उपलब्ध होती है। इन ग्रंथियों के उत्पादन जैव-रासायनिक-यौगिक (Organic Chemical Compound) के रूप में होते हैं। वे स्वल्प मात्रा में भी बहुत अधिक प्रभावशाली होते हैं। विसर्जन तन्त्र-गुर्दे
___ शरीर में उत्पन्न नाइट्रोजन अवशिष्ट पदार्थों का विसर्जन करने के लिए मुख्य अवयव के रूप में गुर्दे कार्य करते हैं।
प्रत्येक गुर्दे में मूत्र का उत्पादन सतत चौबीस घंटे चालू रहता है। वह बूंद-बूंद कर मूत्र-वाहिनी के माध्यम से मूत्राशय (ब्लैडर) में टपकता रहता है और संगृहीत होता है। ___मूत्राशय से मूत्र को बाहर निकालने के लिए एक नलिका होती है, जो शरीर के बाहर एक छिद्र के द्वारा खुलती है।
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