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प्रेक्षाभ्यान सिद्धान्त और प्रयोग
Hypothalamus
mat. Pituitary
Pineal
यह ग्रन्थि यौवनोचित वयस्कता को लाने में सहायक बनती है। प्रयोगों के आधार पर कुछ ऐसे प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं कि इसके स्राव पिच्यूटरी के ACTH नामक स्रोत का निरोध कर अप्रत्यक्ष रूप से एड्रीनल के स्रावों का नियमन करने में सहायक होते हैं। २. पिच्यूटरी ग्रंथि (पीयूष ग्रंथि)
यह ग्रन्थि मस्तिष्क के लगभग मध्य में स्थित होती है। उसका स्थान मस्तिष्क के निचले छोर पर तथा नाक के मूल भाग के पीछे की ओर होता है। मस्तिष्क के नीचे एक छोटी-सी प्याली या पालने में यह ग्रन्थि लटकती-सी रहती है। यह मटर के दाने जितनी होती है।
इस ग्रन्थि के दो खण्ड हैं-१. अग्र खण्ड, २. पृष्ठ खण्ड। अग्र खंड का हिस्सा सम्पूर्ण अन्तःस्रावी ग्रन्थि-तन्त्र का नायक या अग्रणी माना जाता है। यह हिस्सा कम से कम नव प्रकार के विभिन्न हार्मोनों का स्राव करता है और जीवन के अनेक महत्वपूर्ण क्रिया-कलापों पर अपना प्रभाव डालता है। इसके प्रभाव से शरीर का कोई भी भाग अछूता नहीं है। थाइराइड, एड्रीनल कार्टेक्स तथा गोनाड्स को प्रेरित/निरोध करने वाले हार्मोनों के स्राव पिच्यूटरी के अग्र भाग से होते हैं।
पिच्यूटरी के पृष्ठ भाग से निकलने वाले स्राव वस्तुतः तो उसके निकटवर्ती अवचेतक (हायपोथेलेमस) में उत्पन्न होते हैं। वहां के पृष्ठ भाग में आते हैं, संगृहीत होते हैं और शायद बहत परिवर्तन के साथ आवश्यकतानुसार शरीर के विभिन्न भागों तक पहुचते हैं।
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