Book Title: Preksha Dhyan Siddhant Aur Prayog
Author(s): Mahapragya Acharya
Publisher: Jain Vishvabharati Vidyalay

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Page 181
________________ प्रेक्षाध्यान : सिद्धान्त और प्रयोग १७० सरक्षा के लिए मांसपेशियां बनी हैं। ये मांसपेशियां शरीर के हलन. में सहायक है। ये दो प्रकार की हैं-ऐच्छिक और अनैच्छिक । ऐति मांसपेशियों को हम अपनी इच्छानुसार काम में लेते हैं और अनैच्छिक स्वा ही संचालित होती हैं। मांसपेशियों की कुल संख्या ५१६ है। इसमें ४५१ नो अस्थियों के संचालन में सहायक हैं। बाकी ६८ आंख, कान, जीभ आदि अवयवों से सम्बन्धित हैं। अनैच्छिक मांसपेशियां हृदय, फेफड़े, रक्त-खण्डों और पूरे पाचन-तन्त्र में फैली हुई हैं। इन मांसपेशियों पर आसनों और यौगिक क्रियाओं का जबरदस्त प्रभाव पड़ता है। आसन करने से मांसपेशियां ज्यादा सक्रिय और मुलायम बन जाती हैं। उनकी कार्य-क्षमता बढ़ जाती है। शरीर की सुन्दरता भी मांसपेशियों के स्वरूप पर निर्भर है। अगर मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं तो शरीर भी बूढ़ा दीखने लगता है। मांसपेशियां स्वस्थ हों तो सुन्दरता अपने आप आ जाती है। ज्यादातर मांसपेशियां अस्थितन्त्र को बांधकर रखती हैं और अस्थियों के हलन-चलन में सहायक होती हैं। अगर मांसपेशियों में लचीलापन नहीं है तो शरीर का हलन-चलन ठीक नहीं होगा। शरीर अकड़ जाने से शरीर को पूरी क्षमता भर नहीं मोड़ सकते। शरीर की अकड़न बुढ़ापे की निशानी है। आसन करने से इन सबमें सुधार आता है। अनैच्छिक मांसपेशियां भी स्वस्थ होने पर शरीर के पाचनतन्त्र, आंख, हृदय, कान, जीभ आदि को अधिक सक्रिय बनाकर पूरे शरीर को स्वस्थ बनाती हैं। जब आसन किये जाते हैं तो उसके साथ भाव भी कार्य करते हैं और हमारे भावों के अनुरूप मांसपेशियां बननी शुरू हो जाती हैं। पाचनतन्त्र पर प्रभाव आसनों और यौगिक क्रियाओं से पाचनतन्त्र का सम्यक व्यायाम होता है। कहा जा सकता है कि व्यायाम से भी यह काम किया जा सकता है किन्तु जहां व्यायाम से ३ से लेकर ४४ केलौरी ऊर्जा खर्च होती है वहां आसनों से दशमलव शून्य, कायोत्सर्ग में दशमलव शून्य ३ केलौरी ऊर्जा ही खर्च होती है। आमाशय, लीवर, छोटी आंत, बड़ी आंत, पेनक्रियाज, विसर्जन तन्त्र आदि सभी पाचन और विसर्जन-तन्त्र आसनों और यौगिक क्रियाओं से प्रभावित होते हैं। (पाचनतंत्र के चित्र के लिए देखें पृष्ठ ८७) साथ ही वे जीवन भर लचीले बने रहते हैं, जबकि व्यायाम से वे कड़े पड़ जाते हैं और आगे चलकर स्वास्थ्य को हानी पहुंचाते हैं। सात्त्विक और सन्तुलित आहार योगासनों में अनिवार्य तौर पर लेना जरूरी है, तभी आसनों से लाभ हो सकता है। Scanned by CamScanner

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