Book Title: Preksha Dhyan Siddhant Aur Prayog
Author(s): Mahapragya Acharya
Publisher: Jain Vishvabharati Vidyalay

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Page 201
________________ प्रेक्षाध्यान सिद्धान्त और प्रयोग १६० प्राण का वैज्ञानिक आधार पदार्थ की शक्ति गति, स्पन्दन और क्रिया के द्वारा अभिव्यक्त होती है। चैतन्य का मूल गुण ज्ञान, शक्ति और आनन्द है। उसका किंचित् अनुभव प्राण के माध्यम से होता है। प्राण की सक्रियता ही हमारे जीवन का आधार है। उसके बिना व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता। वह निर्जीव जड़ बन जाता है। प्राण सजीवता का लक्षण है। शरीर में होने वाली सक्रियता का आधार ऊर्जा ही है। मस्तिष्क आदि उसकी अभिव्यक्ति के मुख्य-केन्द्र-स्थल हैं। ऊर्जा सम्पूर्ण शरीर में शक्ति रूप में प्रवाहित होती है, इससे आज कोई इन्कार नहीं कर सकता। विज्ञान आज पदार्थ से चैतन्य की ओर यात्रा करने को बाध्य हो रहा है। विज्ञान के क्षेत्र में होने वाले अनुसंधानों ने ऐसी सम्भावनाएं उत्पन्न कर दी हैं, जिससे कि प्राण के अस्तित्व से विज्ञान इन्कार नहीं कर सकता। उसे पुनर्जन्म, आत्मा के अस्तित्व एवं कर्तृत्व आदि तथ्यों को देर-सबेर स्वीकार करना ही होगा। वैज्ञानिकों के एक दल-डॉक्टर बी. इन्थ्रशिक, वी. ग्रिसवेको, एन. बोरोवेव, एन. शोइस्की, एन. फेदरोवा, एफ. गिवमदुलिन ने सन् १६६८ की खोज के बाद घोषित किया है कि पेड़-पौधे, पशु और मनुष्य अणुओं, परमाणुओं से बने पार्थिव शरीर-मात्र नहीं हैं। इस शरीर के अतिरिक्त एक ऊर्जा-शरीर भी होता है, जिसे उन्होंने नाम दिया है-“द बायोलोजिकल प्लाज्मा बॉडी।” श्रीमती मेरट के अनुसार यह ऊर्जा-शरीर ही भविष्य और दूरानुभूति/टेलीपैथी का अनुभव करता है। __ कजाकिस्तान के फिरोव विश्वविद्यालय के कुछ और वैज्ञानिकों ने प्रयोगों से पता लगाया कि ऊर्जा-शरीर की रचना एक प्रकार के उत्तेजित विद्युत्-अणुओं से बने प्रारम्भिक जीवाणुओं के समूह का योग है, पर ऊर्जा-शरीर को मात्र अणुसमूह मानना गलत होगा। वह व्यवस्थित, स्वचालित घटक है। एक घटक के रूप में ऊर्जा-शरीर स्वयं का विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्र विस्तृत करता है। हाई फ्रीक्वेंसी फोटोग्राफी के आविष्कारक किरलिएन सन् १६३६ से इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुसंधान कर रहे हैं। एक दिन एक जैसी दो पत्तियां लेकर अनुसंधान कर रहे थे। ये एक जैसी दो पत्तियां एक ही जाति के पेड़ की थीं। दोनों की सूक्ष्म फोटोग्राफी में भारी अन्तर आया। हालांकि दिखने में दोनों पेड़ और पत्तियां समान ही दिखाई देती था, परन्तु फोटोग्राफी से आने वाली बीमारी का पहले ही पता लग गया। बाद में वैज्ञानिक ने बताया कि एक पौधे को बीमारी से ग्रसित किया गया था। Scanned by CamScanner

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