Book Title: Prakrit Vyakaranam Author(s): Charanvijay Publisher: Atmanand Jain SabhaPage 25
________________ अयौ वैत् ॥ ८॥१।१६९॥ ओत् पूतर-बदर-नवमालिका-नवफलिका पूगफले ॥८।१।१७०॥ न वा मयूख-लवण-चतुर्गुण-चतुर्थ-चतुर्दशचतुर्वार-सुकुमार-कुतूहलोदूखलोलूखले ॥ अवापोते ॥ ८।१।१७२॥ ऊच्चोपे ॥८।१।१७३ ॥ उमो निषण्णे ॥८।१।१७४॥ प्रावरणे अनवाऊ ॥८।१।१७५ ॥ स्वरादसंयुक्तस्यानादेः॥८।१ । १७६॥ क-ग-च-ज-त-द-प-य-वां प्रायो लुक् ॥१७७॥ यमुना-चामुण्डा-कामुका-ऽतिमुक्तके मोऽनुनासिकश्च ॥ ८।१।१७८॥ नाऽवर्णात् पः॥८॥१।१७९ ॥ अवर्णो यश्रुतिः॥८।१।१८० ॥Page Navigation
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