Book Title: Prakrit Vyakaranam Author(s): Charanvijay Publisher: Atmanand Jain SabhaPage 47
________________ ३५ अबो सूचना-दुःख-सम्भाषणा-ऽपराध-वि. स्मया-ऽऽनन्दा-ऽऽदर-भय-खेद-विषाद-पश्चा तापे ॥ ८ । २ । २०४॥ अइ सम्भावने ॥ ८ ॥२। २०५ ॥ वणे निश्चय-विकल्पाऽनुकम्प्ये च ॥२०६॥ मणे विमर्श ॥ ८ । २।२०७॥ अम्मो आश्चर्य ॥ ८ ॥२। २०८ ॥ स्वयमोऽर्थे अप्पणो न वा॥ ८।२।२०९॥ प्रत्येकमः पाडिकं पाडिएकं ॥८।२।२१०॥ उअ पश्य ।। ८ । २।२११ ॥ इहरा इतरथा ॥ ८ । २ । २१२ ॥ एकसरिअंझगिति सम्प्रति ॥ ८।२।२१३॥ मोरउल्ला मुधा ॥ ८।२।२१४ ॥ दराऽधोऽल्पे ॥ ८।२।२१५ ॥ किणो प्रश्ने ॥ ८।२। २१६ ॥Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134