Book Title: Prakrit Vyakaranam
Author(s): Charanvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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प्राकृते
पयर
पयल
पयल
पर
परिअन्त
परिअल
परिक
परिथाल
परिवाड
परिक्षाम
परिह
परी
परी
पलान
पट्ट
पल्हस्थ
पल्हस्थ
१०८
संस्कृते
स्मृ
कृ
प्र० स
भ्रम्
विष्
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मेष्ट
घट
शम्
मृद्
क्षिप्
भ्रम्
नश्
परि० अस्
""
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वि० रिच्
प्राकृतसूत्राङ्कः
४७४
४/७०
४/७७
४।१६१
४।१९०
४।१६२
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४/५१
४/५०
४।१६७
४।१२६.
४। १४३
४।१६१
४।३१
४/२००
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४/२६
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