Book Title: Prakrit Shabda Rupavali
Author(s): Hemchandracharya, Vajrasenvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 253
________________ सबथा प्राकृतशब्दरूपावलिः पञ्चमी / वहूअ वहूआ वहूइवहूओ वहूउ वहूए वहूओ . वहूहिन्तो वहूसुन्तो ( वहूउ वहूहिन्तो षष्ठी वहूअ वहूआ | वहूणं वहूण / वहूइ वहूए सप्तमी ।वहूअ वहूआ वहूसुं वहूसु / वहूइ .वहूए संबोधनम् हे बहु हे वहूउ हे वहूओ हे वहू ॥अथ चमूशब्दः // . एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा चमू चमूउ चमूओ चमू द्वितीया चमुं . चमूउ चमूओ चमू संबोधनम् हे चमु हे चमूउ हे चमूओ हे चमू ॥अथोकारान्तनपुंसकलिङ्गः // ___ // मधुशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा महुं महु महूइँ महूई महूणि द्वितीया महुं महूइँ महूई महूणि तृतीया महुणा महूहि महूहिँ माहिं पञ्चमी / महुणो महुओ / महूओ महूउ महूउ महूहिन्तो / महूहिन्तो महसुन्तो षष्ठी महुणो महुस्स महूणं महूण सप्तमी महुम्मि * महूसुं महूसु संबोधनम् हे महु ( हे मह' हे महूई / हे महूणि

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